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वहीदा रहमान (जन्म: 14 मई, 1936 ) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं।
वहीदा रहमान (जन्म: 14 मई, 1936 ) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं।
वहीदा
रहमान भारतीय सिनेमा जगत में ऐसी कम ही कलाकार हैं जो हर रोल में फिट बैठ
जाते है. चाहे वह 18 या 19 साल की किसी जवां लड़की का रोल हो या बाद में
मां का रोल सभी में उनका अभिनय जबरदस्त ही रहता है. बॉलिवुड की यह सबसे
बड़ी खासियत भी है कि यहां प्रतिभा की कमी नहीं है और ऐसी ही एक प्रतिभा
हैं वहीदा रहमान . प्यासा, सीआईडी , कागज के फूल जैसी फिल्मों में अभिनय
करने वाली वहीदा रहमान आज के दशक में भी दिल्ली
6 जैसी फिल्मों में अपनी उपस्थिति दर्शाने में सफल रही हैं. वहीदा रहमान
का जन्म 14 मई, 1936 को तमिलनाडु के एक परंपरावादी मुस्लिम परिवार में हुआ
था. बचपन से वहीदा डॉक्टर बनना चाहती थी लेकिन उनका भाग्य उन्हें सिनेमा
में खींच लाया. मुंबई में आने के बाद वहीदा रहमान और उनकी बहन ने
भरतनाट्यम की शिक्षा ली.फिल्मी कैरियर की शुरुआत उन्होंने 1955 में दो
तेलुगू फिल्मों के द्वारा की और दोनों ही हिट रहीं जिसका फायदा उन्हें
गुरुदत्त की फिल्म “सीआईडी” में खलनायिका के रोल के रुप में मिला. फिल्म
में वहीदा रहमान के अभिनय की सबने सराहना की और गुरुदत्त तो उनके कायल ही
हो गए.इसके बाद गुरुदत्त ने वहीदा के साथ कई फिल्में की जिनमें प्यासा
सबसे चर्चित फिल्म रही है. फिल्म प्यासा से ही गुरु दत्त और वहीदा का विफल
प्रेम प्रसंग आरंभ हुआ. गुरुदत्त एवं वहीदा रहमान अभिनीत फिल्म कागज के
फूल (1959) की असफल प्रेम कथा उन दोनों की स्वयं के जीवन पर आधारित थी.
दोनों ही कलाकारों ने फिल्म चौदहवीं का चाँद (1960) और साहिब बीबी और गुलाम
(1962) में साथ साथ काम किया.हालांकि कुछ समय बाद गुरुदत्त और वहीदा अलग
हो गए. 10 अक्टूबर, 1964 को गुरुदत्त ने कथित रुप से आत्महत्या कर ली थी
जिसके बाद वहीदा अकेली हो गई, लेकिन फिर भी उन्होंने कैरियर से मुंह नहीं
मोड़ा और 1965 में गाइड के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड का पुरस्कार मिला.
1968 में आई नीलकमल के बाद एक बार फिर से वहीदा रहमान का कैरियर आसमान की
बुलंदियों पर चढ़ने लगा. साल 1974 में उनके साथ काम करने वाले अभिनेता
कमलजीत ने उनसे शादी का प्रस्ताव रखा जिसे वहीदा रहामान ने सहर्ष स्वीकार
कर लिया और शादी के बंधन में बंध गई. साल 1991 में फिल्म लम्हे के बाद
उन्होंने फिल्मों में काम करने से ब्रेक ले लिया और घर बसाने की तरफ ज्यादा
ध्यान देने लगी.साल 2000 उनके जिंदगी में एक और धक्के के रुप में आया जब
उनके पति की आकस्मिक मृत्यु हो गई पर वहीदा ने यहां भी अपनी इच्छाशक्ति का
प्रदर्शन करते हुए दुबारा फिल्मों में काम करने का निर्णय लिया और वाटर,
रंग दे बसंती और दिल्ली 6 जैसी फिल्मों में काम किया.अभिनय के क्षेत्र में
बेमिसाल प्रदर्शन के लिए उन्हें साल 1972 में पद्म श्री और साल 2011 में
पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके साथ वहीदा रहमान को दो
बार बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवार्ड भी मिल चुका है.आज भी वहीदा रहमान
फिल्मों में सक्रिय हैं और भारतीय सिनेमा के स्वर्ण काल की याद दिलाती
हैं.