Monday, 10 October 2016

चिर युवा और चिर एकाकी रेखा को जन्मदिन (10 अक्टूबर) की अशेष शुभकामनाएं ------ ध्रुव गुप्त





Dhruv Gupt


मेरे लिए भी क्या कोई उदास बेक़रार है ?
अतृप्तियों के अनन्त रेगिस्तान में प्रेम की मृगतृष्णा के पीछे भागती हिन्दी सिनेमा की सबसे ग्लैमरस, सबसे विवादास्पद, सबसे संवेदनशील अभिनेत्रियों में एक रेखा की अभिनय-यात्रा और उसका रहस्यमय आभामंडल समकालीन हिंदी सिनेमा के सबसे चर्चित मिथक रहे हैं। तमिल फिल्मों के सुपर स्टार जेमिनी गणेशन और तमिल फिल्म अभिनेत्री पुष्पवल्ली के अविवाहित संबंधों की उपज रेखा को मां-बाप का प्यार कभी मिला ही नहीं। बाप ने उसे अपनी संतान मानने से इनकार किया और मां ने अपना भारी क़र्ज़ उतारने के लिए बचपन में ही फिल्मों की ओर धकेल दिया। तमिल फिल्मों में बाल कलाकार के तौर पर अभिनय करने वाली रेखा ने कुछ तमिल और तेलगू फिल्मों में नायिका की भूमिकाएं भी निभाईं। मां का क़र्ज़ उतारने के लिए उसे कुछ सी ग्रेड अश्लील फिल्मों में भी अभिनय करना पड़ा था।1970 की फिल्म 'सावन भादों' से उसका हिंदी फिल्मों में पदार्पण हुआ। यह फिल्म तो चली, लेकिन बेहद मामूली और अनगढ़-सी दिखने वाली सांवली और मोटी रेखा का लोगों ने मज़ाक भी कम नहीं उड़ाया। कैरियर के आरंभिक वर्षों में उसके कई सह-अभिनेताओं द्वारा उसके भावनात्मक शोषण के किस्से आम हैं। अपने कैरियर की शुरूआत में वह अपने अभिनय या गलैमर के लिए नहीं, उस दौर के अभिनेताओं विश्वजीत, साजिद खान, किरण कुमार के साथ अपने छोटे-छोटे अफेयर और विनोद मेहरा के साथ अपनी संक्षिप्त और असफल विवाह के लिए ज्यादा जानी जाती थी। ग्लैमर की काली दुनिया में अकेली भटकती रेखा को आख़िरकार सहारा मिला 1976 की फिल्म 'दो अनजाने' के अपने नायक अमिताभ बच्चन से। अमिताभ से जुड़ने के बाद उनके मार्गदर्शन में व्यक्ति और अभिनेत्री के तौर पर उनका रूपांतरण आरम्भ हुआ। देखते-देखते सावन भादो, रामपुर का लक्ष्मण, धर्मा, धरम करम, गोरा और काला, एक बेचारा जैसी सामान्य फिल्मों की अनगढ़,भदेस, फूहड़ रेखा अपने कैरियर के उत्तरार्ध में उमराव जान, सिलसिला, आस्था, इजाज़त, आलाप, घर, जुदाई, उत्सव, खूबसूरत, कलयुग की खूबसूरत, शालीन, संवेदनशील अभिनेत्री में बदल गई। रेखा में आने वाला यह आमूल बदलाव उस दौर में किसी चमत्कार जैसा ही माना गया। अपनी परवर्ती फिल्मों के विविध और चुनौतीपूर्ण किरदारों में उन्होंने अभिनय के कई प्रतिमान गढ़े भी और तोड़े भी। 'उमराव जान' उनकी सर्वश्रेष्ठ फिल्म मानी जाती है। रेखा को अभिनेत्रियों का अमिताभ बच्चन भी कहा गया। लंबे अरसे से फिल्मों में वे कम ही दिख रही हैं, लेकिन चरित्र भूमिकाओं में ही सही, आज भी रूपहले परदे पर उनकी उपस्थिति मात्र एक जादूई अहसास और सम्मोहन छोड़ जाती है। पिछले तीन दशकों से अमिताभ बच्चन के साथ रेखा का थोड़े ज़ाहिर और बहुत-से दबे-छुपे प्रेम का शुमार राज कपूर-नर्गिस, दिलीप कुमार-मधुबाला, देवानंद-सुरैया के बाद हिंदी सिनेमा की सबसे चर्चित, लेकिन सबसे रहस्यमय प्रेम-कथाओं में होता है।
चिर युवा और चिर एकाकी रेखा को जन्मदिन (10 अक्टूबर) की अशेष शुभकामनाएं, एक शेर के साथ !
जिस एक बात पे दुनिया बदल गई मेरी 
क्या पता आपने मुझसे कभी कहा भी न हो !
(ध्रुव गुप्त) #Rekha
साभार :
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