Mausmi Chatterjee Did Rape Scene During Her Pregnancy
प्रेग्नेंसी में इस एक्ट्रेस ने किया था रेप सीन, शूटिंग के दौरान रोई, उल्टियां भी की
dainikbhaskar.com | Apr 19, 2017, 14:37 IST
मुंबई. एक्ट्रेस मौसमी चटर्जी 69 साल की होने जा रही हैं। 26 अप्रैल 1948 को कोलकाता में जन्मीं मौसमी ने कई फिल्मों में काम किया है। लेकिन 'रोटी कपड़ा और मकान' (1974) उनकी सबसे सक्सेसफुल फिल्म मानी जाती है। डायरेक्टर मनोज कुमार की इस फिल्म में मौसमी ने रेप सरवाइवर तुलसी का रोल किया था। फिल्म का रेप सीन हिंदी सिनेमा के सबसे डिस्टर्बिंग सीन्स में गिना जाता है। खास बात यह है कि मौसमी ने प्रेग्नेंसी की हालत में यह सीन किया था।रेप सीन के दौरान रो पड़ी थीं मौसमी...
- 2015 में एक इंटरव्यू में मौसमी ने 'रोटी कपड़ा और मकान' के रेप सीन की शूटिंग का किस्सा शेयर किया था।
- मौसमी ने कहा था, "इस सीन की खूब चर्चा रही थी। लोगों को यह सेंसिटिव लगा था। लेकिन इसकी शूटिंग बहुत मुश्किल थी। सीन में विलेन को मेरा ब्लाउज खींचते दिखाया गया है। मुझे चिंता थी कि यह सीन कैसे शूट होगा। सीन के लिए मैंने दो ब्लाउज पहने थे और विलेन ने ऊपर वाला ब्लाउज खींचा था।"
- इंटरव्यू में मौसमी ने बताया था कि जिस वक्त वे उस रेप सीन की शूटिंग कर रही थीं, उस वक्त उनके बाल बहुत लंबे थे। शूटिंग के दौरान उनके ऊपर ढेर सारा आटा गिर गया। वे पसीने से तर थीं और हर चीज उनसे चिपक जा रही थी। आटा भी उनके बालों में जा चिपका। अपनी हालत देखकर वे सेट पर रोने लगीं।
- मौसमी के मुताबिक, शूटिंग के बाद रात में 10.30 बजे वे घर पहुंचीं और बालों से आटा निकालते-निकालते उन्हें रात के 2 बज गए।
- मौसमी ने यह भी बताया था कि कुछ आटा उनके मुंह में चला गया था, जिसकी वजह से उन्हें खूब उल्टियां हुईं और उनकी हालत खराब हो गई। हालांकि, मौसमी की मानें तो डायरेक्टर मनोज कुमार ने उनकी खूब केयर की।
- मौसमी के मुताबिक, प्रेग्नेंसी की वजह से 'रोटी कपड़ा और मकान' का सॉन्ग 'तेरी दो टकिया की नौकरी' जीनत अमान को दे दिया गया था।
http://bollywood.bhaskar.com/news/ENT-BNE-this-actress-did-rape-scene-in-pregnancy-news-hindi-5578174-PHO.html
इंदिरा चटर्जी का जन्म 26 अप्रैल 1953 में कोलकाता में हुआ था, जिनका नाम मशहूर बंगाली फिल्म निर्देशक तरुण मजूमदार द्वारा बदलकर मौसमी चटर्जी कर दिया गया था. चौदह साल की उम्र में मौसमी चटर्जी बालिका वधू बन गईं.
खिलखिलाती सहेलियों के साथ स्कूल जाते हुए. मासूमियत भरी मस्ती और हंसने पर बढ़ा हुआ दांत दिखना, कंधे पर बस्ता टांगे हुए, लंबी- लंबी दो चोटियां उन्हें और भी मासूम बना देता था.
मशहूर बंगाली फिल्म निर्देशक तरुण मजूमदार नायिका के रोल के लिए उन्हें स्कूली लड़की की तलाश थी, जो देखने में मासूम लगे और चंचल भी. तरुण मजूमदार को लगा कि यह छात्रा उस रोल के लिए सही रहेगी. तरुण मजूमदार रोज मौसमी चटर्जी को देखते. उनकी निगाह में मौसमी चटर्जी की मासूमियत इस कदर बस गई कि उन्होंने सोच लिया कि मौसमी ही उनकी फिल्म में बालिका वधू बनेंगी.
उन्होंने जब इंदिरा से पूछा कि मेरी फिल्म में काम करोगी, तब बड़ी मासूमियत से उन्होंने ‘हां’ कह दिया, और पूछा कब से काम शुरू करना है? क्या आज से ही करना होगा? लेकिन मैं स्कूल से छुट्टी नहीं ले सकती. मुझे बाबा (पिताजी) से पूछना पड़ेगा.
सेना में नौकरी करने वाले सख्त स्वभाव वाले इंदिरा के पिता प्रांतोष चट्टोपाध्याय ने साफ मना कर दिया, ‘सवाल ही नहीं उठता. मेरी बेटी पढ़ेगी और खूब पढ़ेगी.’ तब तरुण मजूमदार ने बाबा को मनाने की जिम्मेदारी अपनी पत्नी संध्या राय को सौंपी जो उस समय बंगाल की लोकप्रिय कलाकार थीं. संध्या ने जैसे-तैसे बाबा को मना लिया और इस तरह चौदह साल की उम्र में इंदिरा बालिका वधू बन गई. लेकिन उन्हें अपना नाम बदलना पड़ा.
मौसमी का विवाह बहुत कम उम्र में हो गया था वे जितनी कम उम्र में परदे पर आई, उतनी ही कम उम्र में उनका विवाह भी हो गया. संयोग से प्रसिद्ध गायक हेमंत कुमार ने अपने बेटे रीतेश के लिए मौसमी का हाथ मांग लिया.शादी के बाद वे कोलकाता में रहने लगीं कोलकाता से मुंबई आने पर हेमंत कुमार ने मौसमी से कहा, ‘तुममें अच्छे कलाकार के सभी गुण मौजूद हैं. तुम्हारा चेहरा भी सिल्वर स्क्रीन के लिए एकदम सही है. तुम प्रतिभावान हो, फिल्मों में अभिनय जारी रखो. इस तराह उनके पति ने भी उन्हें हौसला दिया | उस समय तक कई जाने-माने निर्देशक पटकथा लेकर हेमंत कुमार के पास आते थे. तब उन्हें शक्ति सामंत की फिल्म ‘अनुराग’ की कहानी बहुत पसंद आई और 1972 में उन्होंने ‘अनुराग’ में काम करने के लिए शक्ति सामंत को हामी भर दी, लड़की की भूमिका इतने सशक्त ढंग से निभाई कि उस वर्ष की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार उन्हें दिया गया. इस फिल्म के सभी गाने खूब लोकप्रिय हुए थे. इस तरह यह सिलसिला चल निकला.
उसके बाद मौसमी ने कई प्रमुख फिल्मों में उस दौर के सभी बड़े अभिनेताओं के साथ काम किया. ‘रोटी, कपड़ा और मकान’, ‘उधार की जिंदगी’, ‘मंजिल’, ‘बेनाम’, ‘जहरीले इंसान’, ‘हमशक्ल’, ‘सबसे बड़ा रुपइया’ और ‘स्वयंवर’ उल्लेखनीय फिल्में हैं.
उनकी छोटी बेटी पायल भी कैमरे की बारीकियां समझने लगी हैं. हाल ही में मौसमी चटर्जी को बंगाल सिने आर्टिस्ट द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया गया. मौसमी की बड़ी बेटी मेघा को भी उनकी ही तरह तरुण मजूमदार बंगाली फिल्म ‘भालोबासेर अनेक’ नाम से फिल्मी दुनिया में पदार्पण करवा चुके हैं. यह जानना दिलचस्प होगा कि इस फिल्म में मौसमी ने मेघा की चचेरी बहन की भूमिका अदा की है.
http://www.indiajunctionnews.com/biography-about-moushumi-chatterjee/