'नौकरी' फिल्म में शीला रमानी ने किशोर कुमार की नायिका की भूमिका का निर्वहन किया है। 1954 में भी देश में बेरोजगारी की समस्या विकट थी।किशोर कुमार ने एक मेधावी किन्तु गरीब बेरोजगार की भूमिका अदा की है। जबकि शीला रमानी एक समृद्ध पिता की पुत्री होते हुये भी किशोर कुमार की साथिन बनी हैं। किशोर कुमार जब एक नौकरी पा जाते हैं और अपनी सहृदयता के कारण एक बुजुर्ग की गलती को अपने ऊपर लेकर फिर नौकरी गंवा भी देते हैं तभी शीला रमानी अपने पिता का घर छोड़ कर वहाँ पहुँच जाती हैं। लाचार किशोर कुमार शीला रमानी को सोता छोड़ कर आत्म- हत्या के लिए निकल पड़ते हैं और वह रेल के सामने कूदते ठीक उसी वक्त शीला रमानी पीछे से पकड़ कर उनको खींच लेती हैं और उनका जीवन बच जाता है।
यह घटना किशोर कुमार द्वारा पूर्व में एक अन्य बेरोजगार की इसी प्रकार जीवन रक्षा करने के सदृश्य घटित होती है। यह फिल्म आज़ादी के सात वर्ष बाद आई थी और आज उसके 64 वर्ष बाद बेरोजगारी की समस्या बेहद विस्फोटक हो चुकी है। नौकरी फिल्म में शीला रमानी द्वारा अभिनीत भूमिका के आज व्यवहार पाये जाने की कोई संभावना नहीं है फिर भी बेरोजगार युवक - युवती उनके अभिनय से प्रेरणा तो ले ही सकते हैं।
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