Monday, 7 September 2015

बाबू राम इशारा 7 सितंबर 1934 --- संजोग वाल्टर

 

हिंदी फिल्मों में ऐसे बहुत से ऐसे नाम है जिनकी शुरुआती ज़िंदगी के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है,ऐसे ही एक फिल्म कार थे बाबू राम इशारा जिन्होंने 1970 के दशक में अपनी बोल्ड फिल्मों से तहलका मचा दिया था बाबू राम इशारा (बी.आर.इशारा) इस फानी दुनिया को अलविदा कह गये, बी.आर.इशारा की पैदाइश 7 सितंबर 1934 में चिंतपूर्णी में हुई थी. चिंतपूर्णी तब पंजाब का हिस्सा था (अब हिमांचल ,वो हिमाचल प्रदेश के उना के रहने वाले थे फिल्मों की चाह में उना से भाग कर बम्बई आ गये और हिंदी फिल्मों के सेट पर " tea boy " के रूप में काम करने लगे,और ना जाने कब वो छोटी छोटी हिंदी फिल्मों के संवाद लेखक बन गये. 1969 में इन्साफ का मंदिर की कहानी लिखी थी ,1970 में रिलीज़ हुई गुनाह और कानून से लोग उन्हें पहचानने लगे थे,बी.आर.इशारा के पास जो कहानिया थी उस दौर के हिसाब से बेहद बोल्ड थी जो उस वक्त के मध्यम वर्ग में मौजूद " यौन" भावना को लेकर थी.सामाजिक और रोमांटिक फिल्मों के दौर में बोल्ड सब्जेक्ट वाली फिल्मों के लिए निर्माता नहीं मिलते थे,आई.एम्.कन्नू को बी.आर.इशारा की कहानी पसंद आई और 1970 में रिलीज़ हुई थी,"चेतना" (जिसका यह गीत आज भी लोकप्रिय है --में तो हर मोड़ पर दूंगा तुझको सदा) हीरो थे नए नवेले अनिल धवन साथ में थे शत्रुघन सिन्हा. हेरोइन थी रेहाना सुलतान जो गोल्ड मेडल थी FTII, पुणे (graduated 1966) जो 1970 की मशहूर फिल्म दस्तक से अपने फ़िल्मी कैरियर का आगाज़ कर चुकी थी इस फिल्म के लिए वो National Award as Best Actress 1970 का जीत चुकी थी. "चेतना" बोल्ड स्टोरी बोल्ड बेडरूम सीन्स की वज़ह से हिट रही. फिल्म चेतना की शूटिंग रिकार्ड 28 दिनों में पूरी की गयी थी,चेतना बम्बई की एक सेक्स वर्कर की कहानी थी फिल्म का सन्देश था की सेक्स वर्कर भी अपना घर बसा सकती है, चेतना के बाद 1971 ,मन तेरा तन मेरा,1972 मान जाइए,एक नज़र (अमिताभ बच्चन और जाया भादुड़ी इस फिल्म का मशहूर गाना था पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है ) 1972 में सायरा नाम की एक नयी हेरोइन को फिल्म "ज़रूरत" में लाये और अब सायरा का फ़िल्मी नाम था रीना रॉय, "ज़रूरत" भी बोल्ड स्टोरी बोल्ड बेडरूम सीन्स की वज़ह से हिट रही. 1973 में नयी दुनिया नए लोग,हाथी के दांत,एक नाव दो किनारे,और आई थी दिल की राहें जैसी गंभीर फिल्म.1973 में चरित्र के ज़रिये बी.आर.इशारा ने उस वक्त के मशहूर क्रिकेटर सलीम दुर्रानी (हीरो ) के साथ परवीन बाबी( हेरोइन) को पेश किया था, चरित्र फिल्म चेतना का सिक्वल थी. 1974 में देव साहब के साथ प्रेम शास्त्र,1974 में दावत,बाज़ार बंद करो भी आई,1975 में सारिका और राज किरण को फिल्म कागज़ की नाव के ज़रिये पेश किया अब तक सारिका बाल कलाकार (मास्टर सूरज) के रूप में आती थी.राज किरण की यह पहली फिल्म थी,1978 में राहू केतु और पल दो पल का साथ,1979 में घर की लाज,1981 खरा खोटा, कारण कोटा और कारण रिलीज़ हुई ,1982 में लोग क्या कहेंगे ,1983 जय बाबा अमर नाथ,1984 औरत का इंतकाम,हम दो हमारे दो,1985 सौतेला पति,1986 औरत,1987 बेसहारा,1988 वो फिर आयेगी,सिला,1994 जन्म से पहले,1996 सौतेला भाई और हुकुमनामा,रिलीज़ हुई थी. सपन जगमोहन ने बतौर संगीतकार बी.आर.इशारा की फिल्मों में लाज़वाब संगीत दिया, सपन जगमोहन की लाज़वाब धुनों पर मुकेश ने कई गीत गाये, फिल्म ज़िंदगी और तूफ़ान 1975 का यह गीत एक हसरत थी की आंचल का प्यार मिले आज भी लोकप्रिय है, बी.आर.इशारा की फिल्मों में से ज्यादातर नए कलाकारों ने शुरुआत की ,फिल्म सन आफ इंडिया के वंडर बाल कलाकार मास्टर साजिद को बतौर हीरो फिल्म ज़िंदगी और तूफ़ान 1975 में पेश किया, बी.आर.इशारा ने अपनी कई फिल्मों की हेरोइन रही रेहाना सुलतान से 1984 में शादी की थी. हिंदी फिल्मों में संवादकार,लेखक,निर्माता,निर्देशक के रूप में दिए उनके योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा,बी.आर.इशारा की मौत 25 जुलाई 2012 को मुबई के अस्पताल में हुई

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