Tuesday, 23 February 2016

Bhagyashree 23 feb.------ Sanjog Waltar


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Bhagyashree ( Bhagyashree Patwardhan on 23 February 1969) is an film and television actress.Bhagyashree hails from the family of Patwardhans from Sangli city in Maharashtra. Her father is Maharaja of Sangli. Her full name is Shrimant Rajkumari Bhagyashree Raje Patwardhan. She is the daughter of H.H. Meherban Shrimant Raja Vijay Singhrao Madhavrao Patwardhan. Her mother's name is Rajlaxmi. She is the eldest of three daughters, the other two being Madhuvanti and Purnima. She was born on the same day and year of the legendary actress Madhubala's death.She started her acting career with Kachhi Dhoop - a television serial by Amol Palekar. It was based on Louisa Mary Alcott's Little Women. Her rendezvous with acting happened by chance when next door neighbor Amol Palekar, a renowned actor-director, requested her to step in and act in his serial Kacchi Dhoop as the actress who had been signed on had abandoned the serial abruptly. The serial did well and later on she had roles in Honi Anhoni and Kisse Miya Biwi Ke.She is best known for her role in the 1989 film Maine Pyaar Kiya with Salman Khan.After marriage, she acted in three films: Peepat's Qaid Main Hai Bulbul, K.C. Bokadia's Tyagi and Mahendra Shah's Payal all opposite her husband Himalaya.After a gap of several years, she made a comeback to television with Aandhi Jasbaton Ki, where she played a politician. She was also seen in Didi Ka Dulha, a comedy serial on national broadcaster Doordarshan and a telefilm where she plays a blind person. She made her debut in Marathi films with the romantic comedy Zhak Marli Baiko Keli in June 2009.She is the promoter of a media company Shrishti Entertainment with her husband.

Sunday, 21 February 2016

नूतन को उनकी पुण्यतिथि पर हार्दिक श्रद्धांजलि ------ संजोग वाल्टर

*** पुण्यतिथि नूतन : 21 फरवरी 




आज  21 फरवरी  को बॉलिवुड की बहुचर्चित अभिनेत्री नूतन की पुण्यतिथि है. इन्होंने मिलन, बन्दिनी, सौदागर जैसी फिल्मों में अभिनय कर आज तक दर्शकों के दिल में अपनी जगह बनाई हुई है. पद्म्श्री पुरस्कार प्राप्त अभिनेत्री नूतन को उनकी पुण्यतिथि पर हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करें.

Thursday, 18 February 2016

Nalini Jaywant (18 February 1926– 20 December 2010) ------ Sanjog Waltar

Nalini Jaywant  on Birthday :18 February


Nalini Jaywant (18 February 1926– 20 December 2010) was an movie actress from Bollywood in the 1940s and 1950s.Jaywant was born in Mumbai (then Bombay) in 1926. She was first cousin of actress Shobhna Samarth, the mother of actresses Nutan and Tanuja.Since 1983, she had been living mostly a reclusive life.
She was married to director Virendra Desai in the 1940s. Later, she married her second husband, actor Prabhu Dayal, with whom she acted in several movies.Nalini Jaywant died on 20 December 2010, aged 84, at her bungalow of 60 years at Union Park,Chembur, Mumbai.Mystery surrounds the 'death' of yesteryear actress Nalini Jaywant who passed away three days ago (2010) in tragically lonely circumstances at her bungalow in Chembur. Her relatives and those she had once worked with in the film industry were all unaware of the passing of the star who scaled the heights of fame in the 1940s and '50s but had turned into a complete recluse for the last many years. The house is locked and in complete darkness for the past three days, the servants have gone, and Naliniji's pet dogs are on the streets. We neighbours have been taking care of them."n her teens, appeared in Mehboob Khan's Bahen (1941),a film about a brother's obsessive love for his sister. The movie had strong shades of incest. She performed in a few more movies before filming Anokha Pyaar (1948). In 1950, she garnered fame when she became a top star with her performances opposite Ashok Kumar in Samadhi and Sangram. Samadhi was a patriotic drama concerning Subash Chandra Bose and the Indian National Army.Although the leading movie magazine of the day, Film India, called it "politically obsolete", it enjoyed success at the box office. Sangram was a crime drama in which Nalini played the heroine reforming the anti-hero. She and Ashok Kumar performed together in other films, such as Jalpari (1952), Kafila (1952), Nau Bahar (1952), Saloni (1952), Lakeeren (1954), Naaz (1954), Mr. X (1957), Sheroo (1957) and Toofan Mein Pyar Kahan (1963).
Nalini remained an important leading actress through the mid-1950s, appearing in such films as Rahi (1953), Shikast (1953), Railway Platform (1955)), Nastik (1954), Munimji (1955), and Hum Sab Chor Hain (1956). The 1958 film, Kala Pani, directed by Raj Khosla, was Nalini's last successful movie, for which she won the Filmfare Best Supporting Actress Award. Bombay Race Course (1965) was the last film she made, aside from a 1983 film appearance.
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Tuesday, 16 February 2016

देखिये जौहर जौहर साहब के


आई एस जौहर साहब के जन्मदिन 16 फरवरी के अवसर पर : 







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Sunday, 14 February 2016

'भारत की वीनस' मधुबाला के जन्मदिन (14 फरवरी) पर खेराज़-ए-अक़ीदत ------ Dhruv Gupt

जन्म तिथि : 14 फरवरी 1933 , पुण्य तिथि : 23 फरवरी 1969 


Dhruv Gupt

1

हमें काश तुमसे मुहब्बत न होती !

'भारत की वीनस' के रूप में चर्चित अभिनेत्री मधुबाला उर्फ़ मुमताज़ ज़हां देहलवी रुपहले परदे पर अपने स्वप्निल सौन्दर्य, दिलफ़रेब अदाओं तथा सहज और उन्मुक्त अभिनय के लिए जानी जाती है। उनकी तिरछी, रहस्यमयी मुस्कान उनके दौर का सबसे बड़ा मिथक बनी। परदे पर उनकी उपस्थिति का जादू ऐसा था कि उनकी औसत दरजे की फिल्म भी तिलिस्म की तरह दर्शकों को सिनेमा हॉल तक खींच लाती थी। उनकी मौत के दशकों बाद भी उनके चाहने वाले कम नहीं हुए हैं। बेबी मुमताज़ के नाम से उनकी पहली फ़िल्म 'बसन्त' 1942 में आई थी। देविका रानी ने उनके अभिनय से बहुत प्रभावित होकर उन्हें अभिनय की बारीकियां सिखाई और उनका नाम मधुबाला रख दिया। दो दशक लंबे फ़िल्मी सफ़र में मधुबाला की चर्चित फिल्में थीं - नील कमल, पारस, शराबी, हाफ टिकट, झुमरू, बरसात की रात, इन्सान जाग उठा, मुग़ल-ए-आज़म, कल हमारा है, हाबड़ा ब्रिज, चलती का नाम गाडी, फागुन, गेटवे ऑफ़ इंडिया, यहूदी की लड़की, राज हठ, शीरी फरहाद, मिस्टर एंड मिसेज 55, अमर, संगदिल, महल, दुलारी और ज्वाला। दिलीप कुमार के साथ असफल प्रेम, लाईलाज़ बीमारी के सदमे, तलाक़शुदा किशोर कुमार के साथ समझौते की शादी और किश्तों में घटी दर्दनाक मौत उनके जीवन के महत्वपूर्ण पड़ाव थे। उनकी समूची ज़िन्दगी हंसने की नाक़ाम कोशिश करती हुई एक उदास कविता की तरह थी। उनकी मुस्कान एक ऐसी परछाई जो वक़्त की खिड़की पर कुछ उदास धब्बे छोड़ सहसा अनुपस्थित हो जाती है। प्रेम की शाश्वत प्यास की प्रतीक मरहूम मधुबाला को उनके जन्मदिन (14 फरवरी) पर खेराज़-ए-अक़ीदत उनकी फिल्म 'अमर' के गीत को पंक्तियों के साथ !
न मिलता ग़म तो बर्बादी के
अफ़साने कहां जाते
अगर दुनिया चमन होती,
तो वीराने कहां जाते
तुम ही ने ग़म की दौलत दी,
बड़ा एहसान फरमाया
ज़माने भर के आगे
हाथ फैलाने कहां जाते !
(शकील बदायूंनी)


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मधुबाला जब मात्र  नौ वर्ष  की ही थीं  तब उनके पिता  अताउल्लाह  साहब का सम्पूर्ण व्यवसाय  चौपट हो गया   एवं  एक दुर्घटना में में घर भी  फुंक गया था। दाने-दाने को मोहताज़ होने की कगार पर  उनका 13 सदस्यीय परिवार पहुंच गया था । अताउल्लाह साहब  की साख इतनी खराब हो गई किकोई  उन्हें कोई काम तक देने को   तैयार नहीं था। मधुबाला 11 भाई-बहनों में पांचवें नंबर पर थीं जो  देखने में बेहद दिलकश, चंचल और खूबसूरत लगती थीं । किसी  हमदर्द की राय पर  अताउल्लाह  साहब  नौ  वर्षीय बालिका मधुबाला को स्टूडियो ले गये।  मधुबाला को फौरन काम मिल गया -  फिल्म  ‘बसंत’ (1942) में । उनको  मुमताज शांति की बेटी की भूमिका दी गई थी।   मुमताज जहां बेगम देहल्वी  बड़ी जल्दी बाल कलाकार के रूप में  बेबी मुमताज  नाम से मशहूर हो गईं।  1944 में ‘ज्वार भाटा’ की शूटिंग के दौरान प्रसिद्ध नायिका  देविका रानी ने उनको मुमताज से मधुबाला बना दिया। 

‘ज्वार भाटा’ के सेट पर ही  11 वर्षीय मधुबाला की  हीरो दिलीप कुमार से मुलाकात हुई थी।  दोनों की पुनः भेंट  1949 में ‘हर सिंगार’ के सेट पर हुई।1952 में ‘तराना’ को इनकी परफेक्ट लव कमेस्ट्री ने खासी कामयाबी दिलायी। फिर महबूब की ‘अमर’ (1954) की कामयाबी की वजह भी यही जोड़ी बनी। 

मधुबाला के पिता अतालुल्लाह खान  हर हाल  में मधु को दिलीप कुमार से दूर रखना चाहते थे।किन्तु  दिलीप  साहब के कहने पर के.आसिफ ने ‘मुगल-ए-आज़म’ की अनारकली के लिये मधु को साईन कर लिया। 
उनके  ही कहने पर बी.आर.चोपड़ा ने ‘नया दौर’ के लिये मधुबाला को साईन किया।किन्तु ग्वालियर शूटिंग के लिए न जाने से  मधुबाला को फिल्म से निकाल दिया और उनकी जगह वैजयंती माला को ले लिया ।

मधुबाला और दिलीप  साहब अपने-अपने कैरीयर में सफल  हो गये।इस दौरान ‘मुगल-ए-आज़म’ भी बनती रही। दोनों सेट पर मिलते। इस फिल्म में   एक ऐतिहासिक लव सीन भी फिल्माया गया जिसमें शहजादे दिलीप कुमार को एक परिंदे के पंख से अनारकली मधुबाला को प्यार करते हुए दिखाया गया है। बिना एक लफ़्ज बोले इतना पुरअसर लव सीन दोबारा क्रियेट नहीं किया जा सका है। इस फिल्म में मधुबाला ने अपनी खूबसूरती के अलावा अनारकली के किरदार में जान फूंकने के लिये अपना पूरा कौशल   लगा  दिया। ‘प्यार किया कोई चोरी नहीं की, छुप-छुप के आहें भरना क्या, जब प्यार किया तो डरना क्या...’ और ‘मोहब्बत की झूठी कहानी पे रोये...’ इन गानों में मधुबाला दिलीप कुमार को दिलीप कुमार से कहीं ज्यादा प्यार करती हुई दिखती है। सन 1960 में रिलीज़ हुई ‘मुगल-ए-आज़म’ सुपर-डुपर हिट हुई थी। 

 पहले 1954 में वासन की ‘बहुत दिन हुए’ की शूटिंग के दौरान मद्रास में मधु को खून की उल्टी हो चुकी थी। तब मधु को लंबे आराम और मुकम्मल चेक-अप की सलाह दी गयी थी। मगर मधु ने परवाह नहीं की थी। ‘मुगल-ए-आज़म’ की शूटिंग के दौरान भी मधु की तबीयत कई बार बिगड़ी थी। खासतौर पर उन सीन में जिसमें मधु को भारी-भारी लोहे की जंजीरों में जकड़ा हुआ दिखाया गया था। मगर सीन में जान फूंकने की गरज़ से मधु ने सब बर्दाश्त किया।उन्होने इसके बाद  किशोर कुमार से शादी कर ली। किशोर के साथ मधु ने चलती का नाम गाड़ी, झुमरू, हाॅफ टिकट आदि कई हिट फिल्में की थीं।वस्तुतः यह किशोर साहब की दूसरी शादी थी। 
किशोर को भी मधु की बीमारी का जानकारी थी। मगर इसकी गंभीरता का ज्ञान उन्हें भी नहीं था। मर्ज़ बढ़ता देख किशोर मधु को चेक-अप के लिये लंदन ले गये। वहां  डाक्टरों ने बताया कि मधु के दिल में एक बड़ा सुराख है और बाकी जिंदगी दो-तीन साल है। 

मधु मायके आ गयी। किशोर इलाज का खर्च उठाते रहे। महीने दो महीने में एक-आध बार आकर मिल भी लेते। 
 23 फरवरी, 1969 को  इस जिंदगी से मधुबाला छुटकारा पा गईं । मधु की ख्वाहिश के मुताबिक उसके जिस्म के साथ-साथ उसकी उस पर्सनल डायरी को भी उसके साथ दफ़न कर दिया गया ।

मधुबाला ने लगभग  70 फिल्मों में काम किया जिनमें से  15  हिट रहीं ।  मुगले आज़म, हावड़ा ब्रिज, चलती का नाम गाड़ी, मिस्टर एंड मिसेज़ 55, जाली नोट, महल, तराना आदि फिल्में मधुबाला के प्रदर्शन का लोहा मनवाती हैं । उन्होने  दिलीप कुमार, देवानंद, राजकपूर, गुरूदत्त, प्रदीप कुमार, अशोक कुमार, किशोर कुमार, जयराज, भारत भूषण, सुनील दत्त, रहमान, शम्मीकपूर आदि के साथ फिल्मों में काम किया था । अमेरिका की मशहूर पत्रिका ‘थियेटर आर्टस’ द्वारा  अपने अगस्त, 1952 के अंक में मधुबाला को विशेष स्थान देने से  सम्पूर्ण  बालीवुड अवाक रह गया  था। इनके पूर्व  किसी भारतीय हीरोइन को विश्व प्रसिद्ध पत्रिका से ऐसा सम्मान नहीं मिला था। उनको 
‘भारतीय सिनेमा की वीनस’ कहा जाता है लेकिन सन 2010 में उनकी कब्र को ध्वस्त कर दिया गया। 


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Friday, 5 February 2016

Raj Kiran Mehtani ( 5 February 1959)






Sanjog Walter
17 hrsLucknow

Raj Kiran Mehtani ( 5 February 1959) is a actor.Karz and Arth were two of his most memorable movies.He disappeared from the industry and was thought to be living as a recluse in America for many years. Actor Rishi Kapoor found him in Atlanta in an asylum where he is living due to a mental illness.Recently, his daughter issued a public statement negating the reports of Raj Kiran being found in Atlanta.One of his last appearances was in the TV serial Reporter with Shekhar Suman in 1994.
In a heart-rending revelation, Rishi Kapoor tells us that the missing actor, his co-star in Karz is alive, living in a mental asylum and fending for himself.It was an unwelcomed plan by destiny. He played the supportive friend to Shabana Azmi in Mahesh Bhatt's Arth, and made Tum itna jo muskura rahe ho a legendary song with the actress. The actor Raj Kiran, who can immediately be recalled as the one who played Rishi Kapoor's 'pre-incarnation' in Subhash Ghai's Karz was at the peak of his career in 1970s and 80s, went missing for almost a decade and then later was assumed dead even by friends.While most had accepted the worst, acquaintance Rishi Kapoor didn't give up.He decided to locate the missing actor. And on his recent trip to the USA, Kapoor did what he resolved to do. He found out Raj Kiran, alive in a mental institution in Atlanta.
More than a month ago, Deepti Naval had posted on her FB wall, "Looking for a friend from the film world his name is Raj Kiran - we have no news of him - last heard he was driving a cab in NY city if anyone has any clue, please tell . . ." She was frantically searching for her friend and colleague. Now for everyone like Deepti, here is a piece of important and awakening news.
For someone who is remembered as an engaging, polite and cultured actor, it was shocking that his rumoured death could gather momentum so easily. During his trip, Rishi Kapoor met the missing actor's brother Govind Mehtani. Says Rishi, "I've been wondering where Raj had disappeared.
The question was haunting me for a very long time. Then these rumours of Raj being no more began doing the rounds. I was really disturbed. How can a colleague with whom I shared some really good times, just vanish from the face of earth? I decided to look up Raj's elder brother Govind Mehtani to find out about Raj."
It was then that the shocking truth about Raj Kiran spilled out. Says Rishi emotionally, "I was so relieved when Govind told me Raj was alive. But he was confined to an institution in Atlanta due to health problems." What's perturbing is that his family too has more or less left Raj to his own devices.
He pays for his own treatment in Atlanta. Says Rishi, "Yes, apparently, he looks after his own treatment by working within the institution. It's a heart-rending situation for an actor who was so successful at one time. But I'm just happy to know he's alive.
Raj was very well read and clever with his repartees. I used to enjoy our sparring sessions when we worked together. Though he's younger to me, we always got along really well. I miss him."
It appears that his wife with their son abandoned him at some unknown point, the shock of which he couldn't bear. The rest of his family too didn't bother, seemingly because his mood swings were intolerable and then it was far too expensive for them to get him treated.
It seems Raj went through a series of domestic crises which left him in a state of acute depression. He was apparently institutionalised in India before he left for the US where he now lives.His family including his elder brother Govind and younger Ajit, are not in touch with him. When Rishi asked Govind for Raj's phone number, the brother didn't have it! Says Rishi, "I wanted to speak to Raj and visit him in Atlanta. But I couldn't get his contact number. I'm definitely going to visit him and urge him to return home.
Though Raj has not been working for a long time, he invested well. So he was not financially challenged by his illness."
The actor, whose dazzling smile had lit up many potboilers for two decades, giving remarkable performances in films like B R Ishaara's Kaagaz Ki Nao, Ghar Ho To Aisa with Anil Kapoor, Meenakshi Sheshadri and Deepti Naval and Kaaran apart from Subhash Ghai's hit Karz and Mahesh Bhatt's critically acclaimed Arth in the 1980s, had vanished for almost a decade.
The Raj Kiran I Knew...
I had worked with Raj Kiran in Arth and at that time he had never given me a reason to believe that he would ever suffer from such an organic problem. But then years later we heard about bizarre incidents that happened in Bangalore.
He had gone to Puttaparthi and there he apparently, tried to scale a wall and got violent and was accused to have attempted to assassinate Sai Baba. He was brought back to Mumbai where he was kept in a Byculla asylum.
I had gone to meet him there. Some time after that I heard his brother took him to the USA. Now I hear that he in Atlanta and again in an asylum. I had experienced Parveen going through these breakdowns. And it got worse with each breakdown.
It hurts when we see someone being reduced to such a human wreck. You actually mourn at your helplessness

Wednesday, 3 February 2016

दीप्ति नवल : चेहरे पर सादगी समेटे हुए खूबसूरत अदाकारा





नई दिल्ली: अपने चेहरे पर सादगी समेटे हुए खूबसूरत अदाकारा दीप्ति नवल के अभिनय की जितनी तारीफ की जाए कम है। उन्होंने न केवल रूपहले पर्दे पर अभिनय की छाप छोड़कर एक उम्दा कलाकार के तौर पर अपने हुनर को साबित किया, बल्कि अपने मन के विचारों को खूबसूरती से कागज पर अल्फाजों के रूप में उतारा भी।

फोटोग्राफी और पेंटिंग की शौकीन हैं दीप्ति
फोटाग्राफी के शौक के चलते अपने कैमरे से खींची तस्वीरों से और अपनी कूची से उम्दा चित्रकारी कर उसमें रंग भरकर खाली कैनवस को जीवंत करके भी दीप्ति ने अपने कलाकार मन का परिचय दिया है।
 

अमृतसर में हुआ जन्म और न्यूयॉर्क में की पढ़ाई
3 फरवरी, 1957 को पंजाब के अमृतसर में जन्मी दीप्ति नवल ने अपनी शुरुआती स्कूली शिक्षा 'सेक्रेड हार्ट कॉन्वेंट' और उसके बाद हिमाचल प्रदेश में पालमपुर से की। उसके बाद उनके पिता को न्यूयॉर्क के सिटी यूनिवर्सिटी में नौकरी मिलने के बाद वह अमेरिका चली गईं। वहां उन्होंने न्यूयॉर्क की सिटी यूनिवर्सिटी से शिक्षा हासिल की और मैनहट्टन के हंटर कॉलेज से ललित कला में स्नातक डिग्री हासिल की।


रेडियो पर किया है काम
 

कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने पर उन्होंने वहां एक रेडियो स्टेशन में काम करना शुरू कर दिया, जिस पर हिन्दी कार्यक्रम भी आते थे। न्यूयॉर्क में कॉलेज खत्म करने के बाद उन्होंने मैनहट्टन के 'जीन फ्रैंकल एक्टिंग एंड फिल्म मेकिंग कोर्स' में दाखिला ले लिया। कोर्स शुरू करने के एक महीने बाद ही उन्हें भारत आने का मौका मिला और इसी दौरान उनके अभिनय के करियर की शुरुआत हुई।

श्याम बेनेगल की जुनून से बॉलीवुड में रखा कदम
लेकिन श्याम बेनेगल की फिल्म 'जुनून' से बॉलीवुड में कदम रखने वाली दीप्ति के लिए फिल्मों में कदम रखना आसान नहीं था। बचपन से ही अभिनेत्री बनने का सपना पाले दीप्ति ने अपनी इस इच्छा को अपने मन में ही रखा था। स्नातक की पढ़ाई करने के बाद जब उन्होंने अपने माता-पिता के सामने अपनी यह इच्छा रखी तो उनके पिता ने समझाया कि अभिनय केवल एक उम्र तक ही उनका साथ देगा, जबकि पेंटिंग वह ताउम्र कर सकती हैं। समझाने के बाद पिता ने फैसला बेटी पर ही छोड़ दिया।

कला की गहराइयों में डूबीं दीप्ति ने तब अपने दोनों शौक पूरे करने का निर्णय लिया। खूबसूरत चेहरे-मोहरे के कारण उन्हें अभिनेत्री के रूप में सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली।

'एक बार फिर' के लिए मिला सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार
दीप्ति को अभिनय का कोई अनुभव नहीं था। 'जुनून' में केवल दो तीन दृश्यों में दिखीं, दीप्ति ने अपने अभिनय की वास्तविक शुरुआत 1979 में 'एक बार फिर' से की, जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला।

दीप्ति ने अपने फिल्मी करियर में लगभग 60 फिल्मों में अपने स्वाभाविक अभिनय से हर किरदार को जीवंत कर दिया। उन्होंने 'चश्मे बद्दूर', 'मिर्च मसाला', 'अनकही', 'मैं जिंदा हूं' और 'कमला' जैसी फिल्मों के अलावा हाल ही में 'लीला' और 'फ्रीकी चक्र' में काम किया है और फिल्म 'भिंडी बाजार में' नकारात्मक किरदार भी बखूबी निभाया।

शबाना आजमी, स्मिता पाटिल, मार्क जुबेर, सईद मिर्जा जैसे थिएटर के मंझे हुए कलाकारों के बीच उन्होंने अपनी अभिनय प्रतिभा साबित की और समानांतर सिनेमा के लिए भी शबाना आजमी और स्मिता पाटिल के समान ही निर्देशकों की पहली पसंद बन गईं।

उन्होंने फिल्मों में केवल अभिनय ही नहीं, किया बल्कि लेखन, निर्माण और निर्देशन में भी हाथ आजमाया और इसी क्रम में महिलाओं पर आधारित एक टीवी धारावाहिक 'थोड़ा सा आसमान' का लेखन और निर्देशन किया व एक यात्रा शो 'द पाथ लेस ट्रैवल्ड' का निर्माण किया।

'लीला', 'फिराक', 'मेमरीज इन मार्च' और 'लिसन अमाया' जैसी कई फिल्मों में अपनी भूमिकाओं के लिए उन्हें कई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार दिया गया।

बतौर चित्रकार उन्होंने कई कला प्रदर्शनियों में उम्दा पेंटिंग्स बनाकर चित्रकारी के रंगों की छटा बिखेरी। कवयित्री के रूप में 1983 में उनका कविता संकलन 'लम्हा-लम्हा' प्रकाशित हुआ और 2004 में उनका एक कविता संग्रह 'ब्लैक विंड एंड अदर पोयम्स' प्रकाशित हुआ। वर्ष 2011 में उनकी लघु कथाओं का एक संग्रह प्रकाशित हुआ 'द मैड तिब्बन स्टोरीज फ्रॉम देन एंड नाउ'।

इसके अलावा फोटाग्राफी के शौक को पूरा करते हुए उन्होंने 'इन सर्च ऑफ स्काय', 'रोड बिल्डर्स' और 'शेड्स ऑफ रेड' तस्वीर शृंखलाओं के माध्यम से अपनी फोटोग्राफी का हुनर दिखाया।  हिमाचल और लद्दाख की पहाड़ियों में ट्रैकिंग भी सादगी पसंद दीप्ति के शौक में शुमार हैं।


निजी जिंदगी आसान नहीं
दीप्ति पहले फिल्मकार प्रकाश झा के साथ परिणय-सूत्र में बंधीं, बाद में तलाक हो गया। प्रकाश झा से उनका एक बेटा प्रियरंजन झा और एक बेटी दिशा झा हैं। तलाक के बाद वह प्रख्यात शास्त्रीय गायक पंडित जसराज के बेटे विनोद पंडित के करीब आईं। विवाह भी तय हो गया, लेकिन विवाह से पहले ही विनोद का देहांत हो गया।

मानसिक रूप से बीमार लोगों के लिए करती हैं काम
कला के अलावा वह मानसिक रूप से बीमार लोगों के बारे में जागरूकता फैलाने के काम में भी लगी हैं और साथ ही वह लड़कियों की शिक्षा के लिए अपने दिवंगत मंगेतर विनोद पंडित की याद में स्थापित 'विनोद पंडित चैरिटेबल ट्रस्ट' भी चलाती हैं। दीप्ति के अंदर इतने हुनर यकीकन उनकी बहुआयामी शख्सियत की झलक पेश करते हैं।


साभार :

http://khabar.ndtv.com/news/filmy/deepti-naval-birthday-1273072
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Monday, 1 February 2016

महान स्वतंत्रता सेनानी व दिग्गज अभिनेता ए0के0 हंगल ------ Jitendra Kumar

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आज महान स्वतंत्रता सेनानी व दिग्गज अभिनेता ए0के0 हंगल का जन्म दिन है।वह13 वर्ष की उम्र मे ही आजादी की लड़ाई मे कूद परे थे।वर्षों साम्राज्यवादी अंग्रेजो की जेल मे रहे।इनके साथ का एक संस्मरण आज भी याद है।मैं आर0डी0एण्ड डी0जे0 कालेज ,मुंगेर का छात्र था। मैं मुंगेर इप्टा गठन मे भी था,प्रो0शब्बीर हसन,सच्चिदा जी आदि के साथ।तब मै कुछ नाटकों मे काम भी किया ।दिल्ली मे सच्चिदा जी के साथ हंगल साहब से मिला और फिल्म मे काम दिलाने के संबंध मे पूछने पर उन्होंने कहा-आ जाओ,रहने -खाने की व्यवस्था खुद करना होगा। खैर, मे गया नहीं ।हंगल साहब का व्यक्तित्व,विचार और कार्य प्रेरित करता रहेगा ।
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