Thursday, 8 September 2016

जन्मदिवस : आशा भोसलें ------ कुलदीप कुमार 'निष्पक्ष'


कुलदीप कुमार 'निष्पक्ष'


ओ मेरे सोना रे, सोना रे, सोना रे 
दे दूँगी जान जुदा मत होना रे......!
जन्मदिवस/ आशा भोसलें
ओ•पी नैय्यर के मधुर संगीत से लगाय पंचम के तेज़ संगीत तक हर तरह के गीत गाने वालीं आशा का जन्म 8 सितम्बर 1933 को महाराष्ट्र के 'सांगली' में हुआ। इनके पिता पं• दीनानाथ मंगेशकर एक शास्त्रीय गायक थें। जब आशा 9 साल की तभी उनका निधन हो गया था। इनकी बड़ी बहन लता मंगेशकर ने बहुत कम उम्र में ही बॉलीवुड में अपना नाम स्थापित कर लिया था। यानी घर का पूरा माहौल ही संगीत से भरा था। फिर भी आशा को बॉलीवुड में जगह बनाने में बहुत संघर्ष करना पड़ा। शुरू में उन्हें केवल छोटी बजट की फिल्मों के लिए गाने का मौक़ा मिलता था। लेकिन इनकी प्रतिभा को सबसे पहले महान संगीतकार ओ•पी• नैय्यर ने पहचाना और इन्हें 'मांगू' फ़िल्म में काम दिया। इसके बाद 'सी•आई•डी' और फिर 'नया दौर' फ़िल्म में मुख्य पार्श्वगायिका के रूप में काम दिया। यह दोनों फ़िल्म आशा के कैरियर की सबसे बड़ी फ़िल्म साबित हुयें और उन्हें बॉलीवुड में एक अलग पहचान मिली। ओ•पी• नैय्यर के साथ उन्होंने हाबड़ा ब्रिज, मेरे सनम और कश्मीर की कली जैसी म्यूजिकल हिट्स फ़िल्में दी। 60 के दशक के अंतिम समय में आशा की जोड़ी महान संगीतकार पंचम (राहुल देव बर्मन) के साथ बनी। और इस जोड़ी ने तेज़ संगीत पर पॉप, कैबरे और डिस्को गीत की शुरुवात बॉलीवुड में की। जिसे तब के श्रोताओं ने 'हॉट सांग' की संज्ञा दी थी। एक तरफ पंचम का वेस्टर्न स्टाइल म्यूजिक और दूसरी तरफ आशा की चंचल, अल्हड़ और मादक आवाज़ इसने बॉलीवुड में म्यूजिक ट्रेंड को ही बदलकर रख दिया। इस जोड़ी ने 'पिया तू अब तो आजा (कारवाँ), दम मारो दम (हरे कृष्णा हरे राम), ओ मेरे सोना रे सोना रे सोना रे (तीसरी मंज़िल), जाने जा ढूंढता फिर रहा ( जवानी दीवानी) जैसे सुपरहिट्स गीत दिए। इस जोड़ी ने 'मेरा कुछ सामान और खाली हाथ शाम आयी' जैसे शांत कर्णप्रिय गीत भी बॉलीवुड को दिए हैं। आशा जी के कैरियर की दो और महत्वपूर्ण फ़िल्में हैं पहला 'उमराव जान' जिसने उनको एक ग़ज़ल गायिका के रूप में भी लोगों के सामने रखा। और दुसरा 'रंगीला' जिसने उनकी दूसरी पारी बॉलीवुड में शुरू की। आशा का संगीतकार जयदेव के संगीत निर्देशन में एक ग़ज़ल एल्बम 'एन अन्फोर्गेटेबल ट्रीट' भी आया था। जिसकी काफी प्रसंशा हुई थी । 
आशा ने हिंदी, मराठी, बंगाली, गुजराती, पंजाबी, भोजपुरी, तमिल, मलयालम, अंग्रेजी और रुसी भाषा में कुल 16000 से ज्यादा गाने रिकॉर्ड करवाएं हैं। उन्होंने शास्त्रीय संगीत, उप-शास्त्रीय संगीत, भजन, ग़ज़ल, पॉप और कैबरे गीत गाएं हैं। उन्होंने घर के विरुद्ध जाकर 16 साल की उम्र में ही गणपत राव भोसलें से शादी कर ली थी। लेकिन उनका वैवाहिक जीवन काफी दुष्कर रहा जिसके कारण 1960 में उन्होंने तलाक ले लिया। इसके बाद उन्होंने 1980 में पंचम से शादी किया।
आशा को कुल 7 बार सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका का फ़िल्म फेयर पुरस्कार मिल है। यह पुरस्कार उन्हें 'गरीबी की सुनो (दस लाख, 1968), परदे में रहने दो (शिकार, 1969), पिया तू अब तो आजा (कारवां 1972), दम मारो दम (हरे कृष्णा हरे राम, 1973), होने लगी है रात जवां (नैना, 1974), चैन से हमको कभी (प्राण जाए पर वचन न जाए, 1975), ये मेरा दिल (डॉन, 1979)' गीत के लिए मिला। उन्हें उमराव जान के गीत 'दिल क्या चीज़ मेरी' और इज़ाजत फ़िल्म के गीत 'मेरा कुछ सामान' के लिए सर्वश्रेष्ठ गायिका का राष्ट्रिय फ़िल्म पुरस्कार भी मिला।
महान पार्श्वगायिका को उनके एक गीत की कुछ पंक्तियों के साथ जन्मदिवस की शुभकामनाएँ !
'जाईये आप कहाँ जायेंगे 
ये नज़र लौट के फिर आएगी 
दूर तक आप के पीछे पीछे 
मेरी आवाज़ चली जाएगी
आप को प्यार मेरा याद जहाँ आयेगा 
कोई काँटा वही दामन से लिपट जायेगा'

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