Friday, 3 February 2017

दूर थे और दूर हैं हरदम ज़मीनों-आसमाँ : दीप्ती नवल


चन्द्र सेन 
आज मेरी सबसे पसंदीदा अभिनेत्री दीप्ती नवल का जन्मदिन है. जिन्होंने उनकी फिल्म "चश्मे -बद्दूर" और "साथ साथ " देखा होगा उन्हें जरुर अच्छी लगी होगी दीप्ती.
उन्हें जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनायें ! आज वे साठ साल की हो गयी!
हमेशा स्वस्थ और खुश रहें दीप्ती . यही कामना है!
यह जान कर और अच्छा लगा की दीप्ती कविता भी लिखतीं हैं !!
पढ़िए उनकी एक रचना !!
वो नहीं मेरा मगर उससे मुहब्बत है तो है
ये अगर रस्मों, रिवाज़ों से बग़ावत है तो है
सच को मैंने सच कहा, जब कह दिया तो कह दिया
अब ज़माने की नज़र में ये हिमाकत है तो है
कब कहा मैंने कि वो मिल जाये मुझको, मैं उसे
गर न हो जाये वो बस इतनी हसरत है तो है
जल गया परवाना तो शम्मा की इसमें क्या ख़ता
रात भर जलना-जलाना उसकी किस्मत है तो है
दोस्त बन कर दुश्मनों- सा वो सताता है मुझे
फिर भी उस ज़ालिम पे मरना अपनी फ़ितरत है तो है
दूर थे और दूर हैं हरदम ज़मीनों-आसमाँ
दूरियों के बाद भी दोनों में क़ुर्बत है तो है



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