Friday, 31 March 2017

मीनाकुमारी फिल्म के हिट होने का जश्न न मना सकीं ------ Er S D Ojha


Er S D Ojha
22-3-2017 


जो कही गयी न मुझसे , वो जमाना कह रहा है .
पाकीजा कालजयी फिल्म बन गयी . इसके गीत संगीत ने इसे कल्ट क्लासिक बना डाला .पाकीजा में मीनाकुमारी एक तवायफ बनी हैं .राजकुमार इस फिल्म के नायक हैं. दोनों में प्यार होता है . दोनों भाग कर शादी करने जाते हैं . वे जहां भी जाते हैं , लोग नर्गिस तवायफ को पहचान लेते हैं . नर्गिस का नाम पाकीजा रखने पर भी उसका अतीत उसका पीछा नहीं छोड़ता . थक हार कर नर्गिस नायक के जीवन से चले जाने का फैसला करती है .ऐसी मार्मिक फिल्म के बनने में कई तरह के किंतु परंतु लगे .इस फिल्म पर यह शेर पूरी तरह से लागू होता है .
तेरी मंजिल पर पहुंचना इतना आसां न था .
सरहद -ए -अक्ल से गुजरे तो यहां तक पहुंचे .
पाकीजा फिल्म का मुहुर्त 17 जनवरी 1957 को हुआ और यह रिलीज हुई 4 फरवरी 1972 को . अर्थात् कुल 15 साल का विचारणीय समय लगा, जबकि आम तौर पर एक फिल्म पूरा होने में एक या डेढ़ साल का हीं समय लगता है . इस प्रोजेक्ट से जुड़े कई लोगों की मौत हो गयी तो कई लोग इसे छोड़कर चले गये . पहले फिल्म ब्लैक एण्ड ह्वाईट शूट होनी शुरू हुई . जब कलर का दौर आया तो कलर शूट हुई . तभी सिनेमा स्कोप का जमाना आया तो कलर शूट हुए हिस्से रद्दी के टोकरी में फेंकने पड़े .फिल्म ने गति पकड़ी तो फिल्म के हीरो धर्मेंद्र को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया .धर्मेंद्र की जगह राजकुमार लाये गये.धर्मेन्द्र वाले हिस्से पुन: राजकुमार पर शूट किये गये.
फिल्म के निर्माता निर्देशक कमाल अमरोही थे , जो कि शत प्रतिशत विशुद्धता के लिए मशहूर थे . कमाल साहब की कड़ी नजर हर शूट पर थी .उनकी पत्नी मीनाकुमारी ने खुद कास्ट्यूम डिजाइन का जिम्मा ले रखा था . फिल्म की शूटिंग चलते चलते रूक गयी . कैमरे के लेंस का सेंटर फोकस खराब हो गया था . उस समय इस कैमरे के लेंस का किराया पचास हजार रुपये प्रतिदिन था . कम्पनी वाले आए . लेंस बदला . फिर से उन दृश्यों की शूटिंग हुई जो खराब लेंस से हुई थी . फिल्म बनने के शुरू के दौर से हीं कमाल अमरोही व मीना कुमारी के सम्बंध तल्ख होने लगे थे . सन् 1964 आते आते कमाल साहब ने मीनाकुमारी को तालाक दे दिया . तालाक के बाद मीना कुमारी ने लिखा था -
तालाक तो दे रहे हो नजर-ए-कहर के साथ.
जवानी भी मेरा लौटा दो , मेरे मेहर के साथ .
तालाक की वजह से फिल्म बननी बंद हो गयी . सात साल का लम्बा समय व्यतीत हो चला था . इस फिल्म के कुछ फुटेज नर्गिस व सुनील दत्त ने देखे . उन्हें इतनी अच्छी फिल्म का बनना बंद होना बहुत खला . दोनों ने कमाल अमरोही व मीनाकुमारी से बात की . उन्हें फिल्म बनाने के लिए पुन: राजी किया . फिल्म बनी और कालजयी बनी. फिल्म जुबली हिट हुई , पर मीनाकुमारी फिल्म के हिट होने का जश्न न मना सकीं. उनका 31 मार्च 1972 को इंतकाल हो गया .
यूं तेरी रहगुजर से ,
दीवानावार गुजरे .
कांधे पे अपने रख के ,
अपना मजार गुजरे .

https://www.facebook.com/photo.php?fbid=1803704329955445&set=a.1680408095618403.1073741830.100009476861661&type=3


Wednesday, 29 March 2017

भुवन शोम एक प्रेरणास्पद हास्य फिल्म

 जन्मदिन Utpal Dutt (Bangla: উত্পল দত্ত ) March 29, 1929 : 


साभार : 
Er S D Ojha .
https://www.facebook.com/sd.ojha.3/posts/1808246549501223

भुवन   शोम फिल्म के माध्यम से निर्देशक ने हास्य नाटकीयता के द्वारा यह सिद्ध किया है कि, एक सिद्धांतनिष्ठ कडक प्रशासनिक अधिकारी को भी नारी सुलभ ममता द्वारा व्यावहारिक धरातल पर नर्म मानवीय व्यवहार बरतने हेतु परिवर्तित किया जा सकता है। रेलवे के प्रशासनिक अधिकारी भुवन शोम के रूप में उत्पल दत्त जी व ग्रामीण नारी गौरी के रूप में सुहासिनी मुले जी ने मार्मिक अभिनय किया है। प्रारम्भिक अभिनेत्री होते हुये भी परिपक्व अभिनेता उत्पल दत्त जी के साथ सुहासिनी मुले जी का अभिनय सराहनीय है।  यह गौरी का ही चरित्र था जिसने उसके पति जाधव पटेल का निलंबन रद्द करने को भुवन शोम जी को प्रेरित कर दिया। 
  

UTPAL DUTT BIO




Utpal Dutt (Bangla: উত্পল দত্ত) (March 29, 1929 – August 19, 1993) was an Indian actor, director and writer. He was primarily an actor in Bengali Theatre, but he also acted in many Bengali and Hindi films. He received National Film Award for Best Actor in 1970 and three Filmfare Best Comedian Awards 
वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के भुवन शोम के लिए राष्ट्रीय फिल्म ..








Thursday, 23 March 2017

कंगना रनोट 23 march 1987 ------ इंडिया संवाद


16 January 05:34 2016

इंडिया संवाद ब्यूरो

नई दिल्ली: बॉलीवुड की ‘क्वीन’ मानी जाने वाली अभिनेत्री कंगना रनौत के ताजे खुलासे ने एक बार फिर से यह चर्चा छेड़ दी है कि इस चमक-दमक भरी दुनिया में अपनी पहचान बनाने के लिए अभिनेत्रियों को बहुत महंगी कीमत चुकानी पड़ती है। बाॅलीवुड में काम करने के लिए अभिनेत्रियों को शारीरिक शोषण का शिकार होना ही पड़ता है।
एक पुस्तक की लांचिग के मौके पर पहुंचीं कंगना ने ताजा खुलासे में कहा है कि संघर्ष के शुरुआती दिनों में उन्हें तरह-तरह की यातनाएं दी गईं। तब उनकी उम्र महज 17 साल थी।
तब बॉलीवुड में वह नई थीं
‘क्वीन’ और ‘तनु वेड्स मनु’ जैसी सुपरहिट फिल्में देने वाली कंगना रनौत ने बॉलीवुड में अपने संघर्ष के दिनों को लेकर कई चैंकाने वाले खुलासे किए। उनके मुताबिक, तब बॉलीवुड में वह नई थीं। कंगना ने बताया, "एक शख्स, जो मेरे पिता की उम्र का था, ने मुझ पर जोर से वार किया और मैं सिर के बल फर्श पर जा गिरी। खून बहना शुरू हो गया। यह सब देखकर किसी तरह से मैंने अपनी सेंडल उठाई और उसके सिर पर जोर से मारा और उसका खून बहना शुरू हो गया।"
कम उम्र में ही सफलता की बुलंदियां छूने वाली कंगना ने बताया, "मेरे लिए वह बहुत मुश्किल और खराब समय था। वह मेरे करियर का शुरुआती दौर था, जब मेरा शारीरिक शोषण हुआ। यहां मैं इस घटना के विस्तार में नहीं जाना चाहूंगी।"
यहां कोई फ्री में लॉन्च नहीं किया जाता
जब कंगना से पूछा गया कि क्या वह शख्स फिल्म इंडस्ट्री से ही है तो उन्होंने बताया, ‘तब मैंने खुद को फंसा हुआ महसूस किया। आप सोचते हैं कि लोग आपकी मदद करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ऐसा होता नहीं है। यहां कोई फ्री में लॉन्च नहीं किया जाता। जब आप इसमें जाते हैं, तो गिर जाते हैं।’ उनके मुताबिक शोषण करने वाला उनके पिता की उम्र का था, जिसे वे अपना मैंटर मानती थीं। हालांकि कंगना ने उस शख्स के नाम का खुलासा नहीं किया।

गौरतलब है कि करियर के शुरुआती दौर में कंगना का नाम आदित्य पंचोली के साथ चर्चा में रहा था। कई सालों तक दोनों की दोस्ती और प्यार की तस्वीरें मीडियां में छाई रही थीं। ऐसे में उनके ताजा खुलासे को उन दिनों से जोड़कर देखने की कोशिश की जा रही है।
अपने जीवन के संघर्ष पर किताब लिखना चाहती हैं
खुद कंगना भी अपने जीवन के संघर्ष पर किताब लिखना चाहती हैं, जिसमें उनके फिल्मी करियर से पहले और बाद की जद्दोजहद शामिल होगी। उन्होंने कहा, “जिस तरह से मैं अपनी असफलताओं से जूझी हूं, वह काफी गंभीर है और मैं इस बारे में किताब लिखना चाहती हूं।” उम्मीद की जा रही है कि कंगना की पुस्तक में इस बारे में भी खुलासा होगा।


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First Published:23-03-2017 09:51:48 AMLast Updated:23-03-2017 10:57:32 AM

http://www.livehindustan.com/news/entertainment/article1-kangana-ranaut-birthday-special-her-unkwon-facts-including-she-signed-an-adult-film-750075.html

बॉलीवुड 'क्वीन' का ताज हासिल कर चुकीं कंगना रनौत को चुन-चुन कर फिल्में साइन करने की महारथ हासिल है। कंगना इस 30 साल की हो गई हैं, जन्मदिन के खास मौके पर पढ़ें उनके करियर के उतार-चढ़ाव की दास्तां। 'क्वीन' बनने से पहले कंगना के करियर में ऐसा दौर भी आया था जब उन्होंने एडल्ट फिल्म में काम करने के लिए हामी भर दी थी। 

आज अपनी एक्टिंग से लोगों का दिल और नेशनल अवॉर्ड जीतने वाली कंगना ने एक इंटरव्यू में बताया था कि फिल्म साइन करने के बाद उनका एक फोटो शूट किया गया जिसमें उन्हें पहनने के लिए एक कपड़ा दिया गया। उस समय उन्हें कुछ ठीक नहीं लगा क्योंकि माहौल ब्लू फिल्म की शूटिंग जैसा था। *******************




Friday, 10 March 2017

पदमा खन्ना भोजपुरी फिल्मों की महानायिका ------ संजोग वॉल्टर




पदमा खन्ना 10 मार्च 1949, ने उत्तर भारत के बनारस शहर से बम्बई तक का सफ़र तय किया। आज कल वो New Jersey में है अपनी दोनों बेटियों की शादी कर चुकी है, New Jersey में वो Indianica Academy चला रही हैं जहाँ वो शास्त्रीय नृत्य बच्चों को सीखा रही हैं,गुरु जी श्री गोपी कृष्ण से कत्थक की तालीम ली थी,भोजपुरी,हिंदी,पंजाबी,मराठी फिल्मों में काम करने के अलावा छोटे परदे पर “रामायण” के किरदार “कैकई” को भी बखूबी निभाया,हिंदी फिल्मों में उन्हें मौक़ा दिलवाया था वैजयंती माला और पद्मिनी ने,1973 में रिलीज़ फिल्म सौदागर में वो हेरोइन थी और उनके हीरो थे अमिताभ बच्चन।
*फूल बानो* के किरदार में थी,:”सजना है मुझे सजना के लिए” आज भी याद दिला देता है उनकी। राजश्री बैनर ने कई फिल्मों में उन्हें अच्छे रोल उन्हें रोल दिए जो उन्होंने बखूबी निभाए,जॉनी मेरा नाम में उनका कैबरे “हुस्न के लाखों रंग” आज भी एक माइल स्टोन है हिंदी फिल्मों में , उस पर प्रेम नाथ का रिएक्शन विजय आनंद ने नहीं हटाया फिल्म से जो अब शायद कोई फिल्म मेकर वैसा कर पायेगे।
पदमा खन्ना ने,” गंगा मैया तोहे पिहरी चढ़इवो ” ये भोजपुरी भाषा में बनी सबसे पहली फ़िल्म में भी एक छोटा – सा किरदार किया था । साल 2008 में Yaar Meri Zindagi” रिलीज़ हुई शायद उनकी आखिरी फिल्म थी। Yaar Meri Zindagi” की शुरुआत 1971 में हुए थी-पर इस फिल्म ने 2008 में बड़े परदे का मुह देखा . इस फिल्म के हीरो थे अमिताभ बच्चन।
आतंक 1996 में रिलीज़ हुई थी तब वो शादी कर चुकी थी और अमेरिका के New Jersey में जा बसी थी भोजपुरी भाषा में बनने वाली फिल्मों की महा नायिका होने का गौरव उन्हें मिला इन फिल्मों में उनके नायक हुआ करते थे सुजीत कुमार।
भोजपुरी भाषा में बनने वाली फिल्मों में उनका स्थान कोई नहीं ले सकेगा। पद्मा खन्ना के नाम से महिला कलाकारों को संम्मानित किया जाता है।
उनका पता है
1165 Green StreetIselin New Jersey – 08830
Phone: (732) 404-1900 , (732) 404-1901
संजोग वॉल्टर
http://swapnilsansar.org/2017/03/%E0%A4%AA%E0%A4%A6%E0%A4%AE%E0%A4%BE-%E0%A4%96%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%BE-%E0%A4%AD%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%AB%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AE/


Thursday, 9 March 2017

देविका रानी की 23 वीं पुण्यतिथि ------ Er S D Ojha / Sharwan Kumar



Er S D Ojha
आज कैसी हवा चली ऐ 'फिराक' !
आज सुप्रसिद्ध अभिनेत्री देविका रानी की 23 वीं पुण्यतिथि है .वही देविका रानी जिनके शार्ट टेम्पर होने की वजह से उनके फैंस ने "ड्रेगन लेडी "नाम दिया था. देविका रानी का जन्म 30 मार्च सन् 1908 को विशाखापत्तनम में हुआ था . उनके पिता कर्नल एम एन चौधरी चेन्नई के पहले सर्जन कर्नल थे .माता लीला चौधरी थीं . देविका रानी का परिवार रवीन्द्र नाथ टैगोर के खानदान से ताल्लुक रखता था .देविका रानी फर्राटेदार अंग्रेजी बोलती थीं. उनकी इसी विशेषता के कारण फिल्मकार हिमांशु राय ने उन्हें अपनी अंग्रेजी फिल्म " "कर्मा " (1933 ) में लीड रोल दिया था.
देविका रानी के अंग्रेजी के स्पष्ट उच्चारण ने फिल्म "कर्मा" के कामयाबी के चार चांद लगा दिये . फिल्म के लंदन में विशेष शो आयोजित किये गये . इस फिल्म ने अंतराष्ट्रीय ख्याति अर्जित की .फिल्म "अछूत कन्या" (1936) से उनको First lady of Indian screen का खिताब मिला . इसके अतिरिक्त देविका रानी की "इज्जत "(1937) , "सावित्री "( 1938 ), "निर्मला" (1938) आदि उल्लेखनीय फिल्में थीं . आज लोग हेमा मालिनी को "ड्रीम गर्ल " के नाम से जानते हैं ,पर हकीकत यह है कि हेमा के जन्म से पहले हीं देविका रानी को ड्रीम गर्ल की उपाधि मिल चुकी थी . उन्होंने कुल जमा 15 फिल्में हीं की , पर सारी की सारी वे क्लासिक फिल्में थीं . फिल्मों में इकट्ठे काम करते करते हिमांशु राय देविका रानी के पति बन गये . पति पत्नी की इस जोड़ी ने उस दौर के अंग्रेजी फिल्म "कर्मा" में 4 मिनट का किसिंग सीन दिया था , जो आज भी एक रिकार्ड है.उस समय फूल पर भंवरा बिठा कर या दो फूलों को हवा में झूमता दिखा कर रोमांटिक सीन पूरा किया जाता था . किसींग सीन के बारे में तो कोई सोच भी नहीं सकता था .
पति पत्नी ने मिलकर एक स्टूडियो "बाम्बे टॉकीज "की स्थापना की थी , जिसके बैनर तले अशोक कुमार ,दिलीप कुमार , मधुबाला व मुमताज को पहला ब्रेक मिला था . दिलीप कुमार का नाम युसुफ खान था . देविका रानी ने हीं उनका नाम दिलीप कुमार रक्खा . कारण "कुमार "शब्द से वे अशोक कुमार का विकल्प खोज रहीं थीं. उन दिनों अशोक कुमार का बड़ा नाम था . सन् 1940 में हिमांशु राय की मौत के बाद "बाम्बे टॉकीज " के अवसान के दिन शुरू हो गये . चाहकर भी देविका रानी बाम्बे टॉकीज को पहले वाले रुतबे पर नहीं रख पायीं.
देविका रानी को सर्वप्रथम " दादा साहब फाल्के " एवार्ड मिला था . वे पहली फिल्म अभिनेत्री बनीं ,जिसे "पद्मश्री " एवार्ड मिला . सोवियत संघ ने उन्हें "सोवियत लैण्ड पुरूष्कार " दिया था. भारत सरकार ने देविका रानी के नाम पर डाक टिकट जारी किया. वे फिल्मों से अलग होने के बाद भी कई कला संस्थाओं से जुड़ीं रहीं . अंतराष्ट्रीय स्तर पर देविका रानी को जो लोकप्रियता व सराहना मिली , वह अभी तक किसी अन्य भारतीय अभिनेत्री को नहीं मिली है .हिमांशु राय के निधन के पांच साल बाद देविका रानी ने दूसरा विवाह रुसी चित्रकार स्वेतोस्लाव रोरिक से की थी.
आज के हीं दिन अर्थात् 9 मार्च सन् 1994 को देविका रानी की इह लीला समाप्त हुई . उनके निधन पर देश विदेश के उनके लाखों प्रशंसकों की आंखें भर आयीं थीं.
आज कैसी हवा चली ऐ फिराक ,
आंख बेइख्तियार भर आयी .

https://www.facebook.com/photo.php?fbid=1795774244081787&set=a.1680408095618403.1073741830.100009476861661&type=3
Er S D Ojha देविका रानी का कोई संतान नहीं थी . उनके मरने के बाद उनकी सम्पति पर काफी विवाद हुआ था 





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