धरती कहे पुकार के बीज बिछा दे प्यार के,मौसम बीता जाय ! :
हिंदी सिनेमा के हरदिलअज़ीज गीतकारों में एक शैलेन्द्र उर्फ़ शंकर दास केसरी लाल का तीन दशकों लंबा फ़िल्मी सफ़र कामयाब भी रहा था और दुखद भी। बिहार के भोजपुर जिले के शैलेन्द्र ने अरसे तक रेलवे में वेल्डर की नौकरी की। 1947 में मुंबई के एक मुशायरे में भारत विभाजन की त्रासदी पर उनकी एक नज़्म 'जलता है पंजाब' ने राज कपूर को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने अपनी फिल्म 'बरसात' में उनसे दो गीत - 'बरसात में तुमसे मिले हम सजन' और 'पतली कमर है' लिखवाई जिनका संगीत दिया था शंकर जयकिशन ने। इन गीतों की लोकप्रियता ने इतिहास रचा और फिर बन बन गई राज कपूर, शंकर जयकिशन, हसरत जयपुरी और शैलेन्द्र की 'ड्रीम टीम'। यह टीम 'मेरा नाम जोकर' तक कायम रही जबतक शैलेन्द्र इस दुनिया से विदा नहीं हो गए। शैलेन्द्र ने संगीतकार शंकर जयकिशन, सचिनदेव वर्मन, सलिल चौधरी, चित्रगुप्त, राहुलदेव बर्मन, सी. रामचंद्र और रविशंकर के लिए कुल 85 फिल्मों के लिए गीत लिखे। 1967 में उन्होंने अपनी तमाम कमाई खर्च कर फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी 'मारे गए गुलफाम' पर राज कपूर और वहीदा रहमान को लेकर वासु भट्टाचार्य के निर्देशन में अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म 'तीसरी कसम' बनाई। वर्ष की श्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल करने के बावजूद यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिट गई। सब कुछ लुटा देने के सदमे ने शैलेन्द्र के प्राण ले लिए। जयंती (30 अगस्त) पर हमारे दिलों के बेहद करीब इस महान गीतकार को भावभीनी श्रधांजलि, उनके एक अमर गीत के साथ !
दुनिया बनाने वाले, क्या तेरे मन में समाई
काहे को दुनिया बनाई तूने
काहे को दुनिया बनाई
काहे को दुनिया बनाई तूने
काहे को दुनिया बनाई
काहे बनाए तूने माटी के पुतले
धरती ये प्यारी प्यारी मुखड़े ये उजले
काहे बनाया तूने दुनिया का मेला
इसमें लगाया जवानी का रेला
गुपचुप तमाशा देखे, वाह रे तेरी खुदाई
काहे को दुनिया बनाई
धरती ये प्यारी प्यारी मुखड़े ये उजले
काहे बनाया तूने दुनिया का मेला
इसमें लगाया जवानी का रेला
गुपचुप तमाशा देखे, वाह रे तेरी खुदाई
काहे को दुनिया बनाई
प्रीत बनाके तूने जीना सिखाया
हंसना सिखाया, रोना सिखाया
दुनिया के पथ पर मीत मिलाए
मीत मिलाके तूने सपने जगाए
सपने जगा के तूने काहे को दे दी जुदाई
काहे को दुनिया बनाई !
हंसना सिखाया, रोना सिखाया
दुनिया के पथ पर मीत मिलाए
मीत मिलाके तूने सपने जगाए
सपने जगा के तूने काहे को दे दी जुदाई
काहे को दुनिया बनाई !
साभार :
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