Tuesday 4 August 2015

खिलंदड़ा अंदाज़ था किशोर कुमार का --- ध्रुव गुप्त

**जन्मतिथि (4 अगस्त) पर किशोर दा को भावभीनी श्रद्धांजलि !:



मेरे ये गीत याद रखना, कभी अलविदा ना कहना !

अपने निजी जीवन में उदास, खंडित और रहस्यमय किशोर कुमार रूपहले परदे के ऐसे पहले अदाकार थे जिनके पास अपने समकालीन अभिनेताओं के बरक्स मानवीय भावनाओं और विडंबनाओं को अभिव्यक्त करने का एकदम अलग-सा खिलंदड़ा अंदाज़ था। वे सिनेमा के ऐसे विदूषक थे जो त्रासद से त्रासद परिस्थितियों को एक हंसते हुए बच्चे की मासूम निगाह से देख सकते थे। ऐसे नायक थे जिन्होंने नायकत्व की स्थापित परिभाषाओं को बार-बार तोडा। हाफ टिकट, चलती का नाम गाड़ी, रंगोली, मनमौजी, झुमरू, दूर गगन की छांव में, दूर का राही, पड़ोसन जैसी फिल्मों में उन्होंने अभिनय के नए मुहाबरों से हमें परिचित कराया । वे ऐसे गायक थे जिनकी आवाज़ में शरारत भी थी, संज़ीदगी भी और बेपनाह दर्द भी। उनके कुछ गीत - छोटी सी ये दुनिया पहचाने रास्ते हैं, कोई हमदम न रहा,ठंढी हवा ये चांदनी सुहानी,ये रातें ये मौसम नदी का किनारा, दुखी मन मेरे सुन मेरा कहना, तेरी दुनिया से होके मजबूर चला, पल पल दिल के पास तुम रहती हो, फूलों के रंग से दिल के कलम से, हमें तुमसे प्यार कितना ये हम नहीं जानते,मेरे नैना सावन भादों, ओ मेरी प्यारी बिंदु, जीवन से भरी तेरी आंखें, चिंगारी कोई भड़के, ये क्या हुआ कब हुआ कैसे हुआ, ये शाम मस्तानी, ये जो मुहब्बत है ये उनका है काम, घुंघरू की तरह बजता ही रहा हूं मैं, सबेरे का सूरज तुम्हारे लिए है, ज़िन्दगी एक सफ़र है सुहाना, रिमझिम गिरे सावन, मुसाफिर हूं यारों, ज़िंदगी के सफर में गुज़र जाते हैं जो मकाम, तुम बिन जाऊं कहां, दीवाना लेके आया है दिल का तराना, मेरे महबूब क़यामत होगी, दिल आज शायर है, शोख़ियों में घोला जाय फूलों का शबाब, छूकर मेरे मन को किया तूने क्या इशारा जैसे सैकड़ों गीत हमारी संगीत विरासत का अहम हिस्सा हैं। किशोर दा हिंदी सिनेमा के सबसे अबूझ और विवादास्पद व्यक्तित्व रहे जिनकी एक-एक अदा, जिनकी एक-एक हरकत उनके जीवन-काल में ही किंवदंती बन गईं।

जन्मतिथि (4 अगस्त) पर किशोर दा को भावभीनी श्रद्धांजलि !

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