Thursday 28 January 2016

सुमन कल्याणपुर : 28 जनवरी 1937-- Shashank Mukut Shekhar

***


Suman Kalyanpur is an Indian singer. She was born on January 28, 1937 in Dhaka, British India. In 1943, her family moved to Mumbai, where she received her musical training. She is married to Ramanand S. Kalyanpur.
Suman Kalyanpur
Birth name Suman Hemmady
Born  January 28, 1937 (age 76)
Dhaka, Bangladesh
Genres Indian classical music, playback singing
Occupations Singer
Years active 1954--1981



सुमन कल्याणपुर (1937 -present ):

दुनिया में कुछ लोग होते हैं जिनकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती है बल्कि उनसे सभी की तुलना की जाती है उन्हीं लोगों में से एक हैं लताजी ! यानि लता मंगेशकर । भारतीय फिल्म संगीत में लता जी की आवाज का कोई सानी नहीं है। एक नाम और है जिसकी आवाज में वही खनक एवं मधुरता है जो लता जी की आवाज़ में है। वो नाम है सुमन कल्याणपुर। बहुत कम लोग पहचान पाते हैं कि जो गीत वो लता जी का गाया समझ कर सुन रहे हैं वो असल में सुमन जी का गाया हुआ होता है। ऐसा ही एक गीत है "ना तुम हमें जानो ना हम तुम्हें जाने" फिल्म बात एक रात की का है इसके संगीत कार सचिन दा हैं। सुमन जी के गाए कुछ और गीत हैं -"छोडो मोरी बइयां", "मेरे महबूब न जा", "बहना ने भाई की कलाई पे प्यार बांधा है" आदि । फिल्म "ब्रम्हचारी" के एक गीत "आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे हर ज़बान पर " में तो संदेह हो जाता है कि रफ़ी साहब के साथ लता जी हैं पर ये गीत सुमन जी का गाया हुआ है। खैर जो भी हो परन्तु आवाज़ की दृष्टि से लता जी के समान यदि किसी ने आवाज़ पाई है तो वो है सुमन कल्याणपुर।
सुमन कल्याणपुर का जन्म 28 जनवरी 1937 को ढाका में हुआ था, जहाँ पर वो 1943 तक रहीं। एक समय था जब लता और आशा की चमक के आगे दूसरी सभी गायिकाओं की चमक फीकी पड़ जाया करती थी। उस समय के सभी कम चर्चित पार्श्वगायिकाओं में सुमन कल्याणपुर ही थीं जिन्होंने सब से ज़्यादा गीत गाये और सब से ज़्यादा लोकप्रियता भी पायी। उनकी आवाज़ लता जी की तरह होने की वजह से जहाँ उन्हें कई अवसर मिले पर साथ ही वो उनके लिए रुकावट भी सिद्ध हुई। सुमन जी के ससुराल वालों ने भी उन्हें जनता के समक्ष आने का ज्यादा मौका नहीं दिया और वो गायन छोड़ने को मजबूर होकर गुमनामी में चली गयीं।
पहले लता मंगेशकर फिर शमशाद बेगम और मुबारक बेगम से होते हुए ‘कहि देबे संदेस’ का विदाई गीत ‘मोर अंगना के सोन चिरैया वो नोनी’ अंततः आया सुमन कल्याणपुर के हिस्से में। इसका खुलासा भी बड़ा रोचक है। निर्माता-निर्देशक मनु नायक इस बारे में बताते हैं कि – “इस विदाई गीत के लिए हमारे सामने पहली पसंद तो लता दीदी थीं लेकिन उनकी डेट तत्काल नहीं मिल रही थी फिर उनकी फीस को लेकर भी हमारे लिए थोड़ी उलझन थी। अंततः हम लोगों ने शमशाद बेगम से इस गीत को गवाना चाहा। खोजबीन करने पर पता चला कि शमशाद बेगम अब गाना बिल्कुल कम कर चुकीं हैं। ऐसे में हम लोगों ने मुबारक बेगम को इस गीत के लिए एचएमवी से अनुबंधित कर लिया। मुबारक बेगम स्टूडियो पहुंची और रिहर्सल भी की। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। उनकी आवाज में यह गाना जम भी रहा था। लेकिन दिक्कत आ रही थी महज एक शब्द के उच्चारण को लेकर। गीत में जहां ‘राते अंजोरिया’ शब्द है उसे वह रिहर्सल में ठीक उच्चारित करती थीं लेकिन पता नहीं क्यों जैसे ही रिकार्डिंग शुरू करते थे वह ‘राते अंझुरिया’ कह देती थीं। इसमें हमारी पूरी-पूरी एक शिफ्ट का नुकसान हो गया। उस रोज पूरे छह घंटे में मुबारक बेगम से ‘अंजोरिया’ नहीं हुआ वह ‘अंझुरिया’ ही रहा। अंतत: हमनें अनुबंध की शर्त के मुताबिक उनका और सारे साजिंदों व तकनीशियनों का भुगतान किया और अगले ही दिन सुमन कल्याणपुर को अनुबंधित कर उनकी आवाज में यह विदाई गीत रिकार्ड करवाया। चूंकि हम एचएमवी से पहले ही अनुबंध कर चुके थे, ऐसे में गीत न गवाने के बावजूद मुबारक बेगम का नाम टाइटिल में हमें देना पड़ा।”

सुमन कल्याणपुर ने एक बार 'ए मेरे वतन के लोगो' इस गीत को लेकर बड़ा खुलासा किया था। कल्याणपुर ने बताया कि 1964 में पंडित जवारहलाल नेहरू के सामने यह गीत गाने के लिए मुझे बुलाया गया था, रिहर्सल भी हुई थी, लेकिन मंच के पास पहुंचते ही मुझे इस गाने की बजाय दूसरा गाना गाने के लिए कहा गया। कल्याणपुर ने कहा कि इस बात का अब तक पता नही लगा कि आखिर यह गाना मुझसे क्यों छीना गया?
सुमन जी ने "बात एक रात की (1962 )","दिल एक मंदिर (1963 )","दिल ही तो है (1963 )","जहाँआरा (1964 )","नूरजहाँ (1967 )","साथी (1968 )","पाकीज़ा (1971 )",सहित अन्य कई फिल्मों में लगभग 740 गाने गाए हैं।
सुमन जी ने लता दी के साथ हेमंत दा के संगीत निर्देशन में एक डुएट भी गाया है।
उनके द्वारा गाए कुछ प्रसिद्द गाने हैं :-
"ना तुम हमें जानो ना हम तुम्हें जाने" ,"छोडो मोरी बइयां" ,"मेरे महबूब न जा" ,"बहना ने भाई की कलाई पे प्यार बांधा है","आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे हर ज़बान पर " ,दिल गम से जल रहा (शमा ),"बुझा दिए हैं (शगुन ),"मेरे संग गा (जानवर ),"जिंदगी इम्तहान लेती है (नसीब )","जो हम पे गुजरती है (मोहब्बत इसको कहते हैं )" इत्यादि।
साल 2010 में उन्हें महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रतिष्ठित लता मंगेशकर अवार्ड स्व सम्मानित किया गया था।

प्रस्तुत है उनके गाए एक गाने की कुछ लाइनें :-

मोरे अंगना के सोन चिरईया नोनी~
अंगना के सोन चिरईया नोनी~
तैं तो उड़ी जाबे पर के दुवार
तैं तो चली देबे पर के दुवार

अंगना मा तुलसी के, बिरवा लगाए ओ ओओ~ओ
चंदा के उगते मा, दिया ला जलाए ओ ओओ~ओ
बांधी लैबे अचरा मा, बांधी लैबे अचरा म
बांधी लैबे अचरा मा, राते अंजोरिया~ हो~ओओ~हो
जोरी लैबे सोनहा भिनसार
तैं तो छोड़ी देबे दाई के दुवार
तैं तो उड़ी जाबे पर के दुवार

टिमकत चंदैनी के, बेनी गथाए ओ ओओ~ओ
बादर के काजर मा, आंखी रचाए ओ ओओ~ओ
लहरा के लुगरा ले, लहरा के लुगरा ले
लहरा के लुगरा ले, भंवरी के ककनी हो~ओओ~हो
टिकी डारे चंदा कपार
तैं तो उड़ी जाबे पर के दुवार
तैं तो चली देबे पर के दुवार

तिरिया के चोला ला, कोन्हो झन पाए ओ ओओ~ओ
तन ले करेजा ला, कईसे बिलगाए ओ ओओ~ओ
भईया हा रोवय तो, भईया हा रोवय तो
भईया हा रोवय तो, रोवय जंहूरिया हो~ओओ~हो
दीदी के तलफे दुलार
तैं तो चली देबे पर के दुवार
तैं तो उड़ी जाबे पर के दुवार
मोरे अंगना के सोन चिरईया नोनी~
तैं तो उड़ी जाबे पर के दुवार
तैं तो चली देबे पर के दुवार

"धन्यवाद "
 —:

No comments:

Post a Comment