सुप्रसिद्ध पार्श्वगायक महेंद्र कपूर जी जयंती (9 जनवरी) :
है रीत जहाँ की प्रीत सदा, मैं गीत वहां के गाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ/ सुप्रसिद्ध पार्श्वगायक महेंद्र कपूर जी को उनकी जयंती (9 जनवरी) पर नमन्।
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ/ सुप्रसिद्ध पार्श्वगायक महेंद्र कपूर जी को उनकी जयंती (9 जनवरी) पर नमन्।
देशभक्ति गीतों के लिए प्रसिद्ध महेंद्र कपूर जी का कैरियर नौशाद अली की फ़िल्म 'सोहनी महिवाल' से शुरू हुआ था। इसके बाद फ़िल्म नवरंग के गीत 'आधा है चंद्रमा रात आधी' से काफी लोकप्रियता प्राप्त हुई। जिस तरह राज कपूर के लिए मुकेश और शम्मी कपूर के लिए रफ़ी ने बहुत गीत गए ठीक उसी तरह महेंद्र जी ने मनोज कुमार के लिए बहुत से फिल्मों में गीत गए जिनमें उपकार, पूरब और पश्चिम, रोटी कपड़ा और मकान और क्रांति जैसी फ़िल्में शामिल है। इन्होंने निर्माता और निर्देशक बी•आर• चोपड़ा के फिल्मों के लिए भी बहुत गीत गए जिनमें धूल का फूल, गुमराह, वक़्त, हमराज़ और धुंध जैसी फ़िल्में शामिल हैं। कैरियर के शुरुवाती दौर से ही मोहम्मद रफ़ी साहब और महेंद्र कपूर जी के बीच काफी बढ़िया दोस्ती थीं। महेंद्र जी रफ़ी साहब को अपना गुरु भी मानते थे। और कैरियर के शुरुवाती गानों में उन्होंने रफ़ी साहब को कॉपी भी करने की कोशिस की जो उनके गीतों में साफ़ झलकता है। महेंद्र कपूर जी ने हिंदी के अलावा मराठी, पंजाबी और भोजपुरी आदि क्षेत्रीय भाषाओ में लगभग 25000 हज़ार गीतों को अपने स्वर से संवारा है। इन्होंने काफी भजन भी गाएं हैं। यह पहलें भारतीय गायक थे जिन्होंने कोई अंग्रेजी गीत रिकॉर्ड किया था।
महेंद्र कपूर जी को 1968 में उपकार फ़िल्म के गीत 'मेरे देश की धरती सोना उगले' के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार, 1964 में गुमराह फ़िल्म के गीत 'चलों एक बार फिर से', 1968 में हमराज़ फ़िल्म के गीत 'नीले गगन के तले, और 1975 में आयी फ़िल्म रोटी कपड़ा और मकान के गीत 'और नहीं बस और नहीं' के लिए कुल मिलाकर तीन बार फ़िल्म फेयर पुरस्कार मिला था।
महान गायक को उनकी जयंती पर उनके एक अमर गीत के साथ श्रद्धा सुमन समर्पित।
महेंद्र कपूर जी को 1968 में उपकार फ़िल्म के गीत 'मेरे देश की धरती सोना उगले' के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार, 1964 में गुमराह फ़िल्म के गीत 'चलों एक बार फिर से', 1968 में हमराज़ फ़िल्म के गीत 'नीले गगन के तले, और 1975 में आयी फ़िल्म रोटी कपड़ा और मकान के गीत 'और नहीं बस और नहीं' के लिए कुल मिलाकर तीन बार फ़िल्म फेयर पुरस्कार मिला था।
महान गायक को उनकी जयंती पर उनके एक अमर गीत के साथ श्रद्धा सुमन समर्पित।
मैं अकेला बहोत देर चलता रहा
अब सफ़र जिंदगानी का कटता नहीं
जब तलक़ कोई रंगीन सहारा ना हो
वक्त काफ़िर जवानी का कटता नही
तुम अगर हमकदम बन के चलती रहो
मैं ज़मींपर सितारें बिछाता रहूँ
तुम मुझे देखकर मुस्कुराती रहो
मैं तुम्हे देखकर गीत गाता रहूँ
तुम अगर साथ देने का वादा करो
मैं यूँ ही मस्त नग्में लूटाता रहूँ।
अब सफ़र जिंदगानी का कटता नहीं
जब तलक़ कोई रंगीन सहारा ना हो
वक्त काफ़िर जवानी का कटता नही
तुम अगर हमकदम बन के चलती रहो
मैं ज़मींपर सितारें बिछाता रहूँ
तुम मुझे देखकर मुस्कुराती रहो
मैं तुम्हे देखकर गीत गाता रहूँ
तुम अगर साथ देने का वादा करो
मैं यूँ ही मस्त नग्में लूटाता रहूँ।
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