शुक्रवार, 18 जुलाई 2014
कितने संदेश हैं कटी पतंग में ?
'वात्सल्य प्रेम' कभी भी निष्प्रभावी नहीं हो सकता। निश्छल प्रेम को अबोध बच्चा भी महसूस कर लेता है। माधवी ने पूनम के पुत्र को जो मातृत्व प्रदान किया था वह निस्वार्थ व निश्छल था और इसी का यह परिणाम था कि पूनम के अबोध-नादान पुत्र ने खेल-खेल में जहर की शीशी उठा कर रहस्य से पर्दा उठवा दिया और माधवी निर्दोष सिद्ध हो सकी। अतः प्रकृति-परमात्मा का अनुपम उपहार बच्चों से सदैव प्रेम-व्यवहार रखना चाहिए।
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***************************************************************************************18 जूलाई राजेश खन्ना जी की पुण्यतिथि पर :
जो लोग मर कर भी अमर हो जाते हैं उनमें ही एक हैं राजेश खन्ना जी उनकी फिल्म 'कटी पतंग' का अवलोकन करने का अवसर 11 जूलाई को मिला था। शक्ति सामंत साहब द्वारा निर्मित व निर्देशित यह फिल्म सुप्रसिद्ध उपन्यासकार गुलशन नंदा जी के उपन्यास 'कटी पतंग' पर आधारित है। राजेश खन्ना जी 'कमल' और आशा पारेख जी 'माधवी' की भूमिकाओं में हैं और दोनों के जीवन-संघर्षों द्वारा अनेकों संदेश इस फिल्म के माध्यम से दिये गए हैं।
माधवी भी लड़कियों को गुमराह करके उनका उत्पीड़न करने वाले कैलाश के फेर में फंस चुकी थी और जब उसके विवाह के समय कैलाश ने उसके पूर्व में लिखे पत्रों को उसे उपहार में भेंट कर दिया तो वह घबड़ा गई । इसलिए वह मंडप छोड़ कर भाग गई और कमल को बारात वापिस लौटा ले जानी पड़ी। कमल ने माधवी की शक्ल नहीं देखी थी और अपने पिता श्री की माधवी के मामा से मित्रता के कारण रिश्ता स्वीकार कर लिया था । कैलाश द्वारा ठुकराये जाने पर माधवी शहर छोडने के निश्चय के साथ रेलवे स्टेशन पहुंची जहां विश्रामालय में उसकी पुरानी सहपाठी/सहेली 'पूनम' अपने अबोध पुत्र के साथ प्रतीक्षा करते हुये मिल गई। माधवी की कहानी सुन कर और उसका गंतव्य निर्धारित न होने के कारण पूनम ने उससे अपने साथ अपनी सुसराल चलने को राज़ी कर लिया। पूनम के सुसराल वालों ने भी उसकी शक्ल नहीं देखी थी क्योंकि उनका विवाह उन लोगों की मर्ज़ी के विरुद्ध हुआ था। परंतु अपने पुत्र के निधन के बाद पौत्र के मोह में उसके सुसर ने पत्र भेज कर उसे बुलाया था।
ट्रेन के दुर्घटना ग्रस्त होने और अपने न बचने की उम्मीद पर पूनम ने माधवी से अपने पुत्र को पाल लेने व उसकी सुसराल में 'पूनम' नाम से अपनी भूमिका निभाने का वचन ले लिया था। माधवी जब पूनम की भूमिका में टैक्सी से नैनीताल अपनी सुसराल के लिए चली तो मार्ग में ढाबे पर बच्चे के लिए दूध खरीदने हेतु ड्राईवर को रुपए देने के लिए पर्स खोला तो ड्राईवर की निगाह रुपयों पर गड़ गई अतः वह पर्स छीनने की नीयत से जंगल की ओर टैक्सी ले गया। पूनम/माधवी की चिल-पुकार सुन कर फारेस्ट आफ़ीसर कमल ने टैक्सी का पीछा करके ओवरटेक कर लिया। ड्राईवर पर्स छीन कर टैक्सी छोड़ कर भागा तो कमल ने उसका पीछा करना शुरू किया और तालाब में संघर्ष करके पर्स हासिल करके पूनम/माधवी को सौंप दिया तथा रात्रि में विश्राम हेतु अपने निवास पर ले गया।पूनम को ठहराकर कमल खुद रात्रि पार्टी में शामिल होने चला गया। नौकर से आग्रह करके माधवी अपनी सहेली पूनम की सुसराल के लिए ट्रक में बैठ कर चली गई। शरीफ ट्रक ड्राईवर ने उसे सुरक्षित अपनी सहेली की सुसराल वाली हवेली पहुंचा दिया जहां माधवी को पूनम बन कर उसके बच्चे का लालन-पालन माँ के रूप में करना था।
माधवी के मामा और पूनम के सुसर दोनों ही कमल के पिता के मित्र थे।कमल पूनम के सुसर अर्थात अपने चाचा जी के पास अक्सर आता रहता था और अपने बचपन के मित्र की विधवा के रूप में पूनम से सहानुभूति रखने लगा जो वस्तुतः थी तो माधवी उसकी होने वाली पत्नि । माधवी तो पूनम के रूप में कमल की वस्तुस्थिति से परिचित हो चुकी थी किन्तु कमल उसे पूनम के रूप में मानता था। कैलाश ब्लेकमेलिंग के लिए माधवी को परेशान करने पीछा करते हुये नैनीताल भी पहुँच गया था। उसने पूनम की नौकरानी रमइय्या के जरिये जहर मिला दूध पूनम के सुसर को पिलवा कर उनका खात्मा कर दिया और माधवी को गिरफ्तार करा दिया। किन्तु कमल और पूनम का विवाह करने का निश्चय करके पूनम के सुसर ने कमल के पिता अपने मित्र को बुलवा लिया था और उनको बता दिया था कि यह पूनम नहीं उनकी होने वाली पुत्रवधू माधवी ही थी। पूनम के नादान पुत्र ने रसोई के पीछे से एक टूटी शीशी (जिसमे जहर की गोलियां लाकर कैलाश ने दूध के ग्लास में मिलाई थीं) उठा ली और खेल रहा था जिसे पूनम के सुसर के मित्र डॉ ने उस बच्चे से ले लिया और कमल की सख्ती से रमइय्या ने सब कुछ सही-सही बता दिया। उसके खुलासा करने पर कमल ने चतुराई से कैलाश और उसके षड्यंत्र में शामिल शबनम तथा रमइय्या को गिरफ्तार करवाकर माधवी को मुक्त करा दिया था। परंतु माधवी थाने से जंगल की ओर चल कर आत्महत्या करने का मंसूबा पाले थी। कमल ने थाने से सूचना पाकर उसकी खोज की और पकड़ लिया तथा अपना इरादा भी स्पष्ट कर दिया कि माधवी के मर जाने पर वह भी मर जाएगा। अतः माधवी को अपना इरादा बदलना पड़ा।
*प्रारम्भिक संदेश तो यह मिलता है कि युवतियों को भावावेश में आकर पुरुषों के प्रेमजाल में नहीं फंसना चाहिए क्योंकि इसी कारण माधवी को शादी का मंडप छोड़ कर भागना पड़ा था।आजकल युवतियों को धोखा मिलने और उनसे दुर्व्यवहार होने की अनेकों घटनाएँ अखबारों की सुर्खियां बन रही हैं। यह फिल्म युवतियों को सावधान रहने की ओर इंगित करती है।
*अपने साथ सम्पूर्ण रुपए-पैसे एक ही पर्स व एक ही जगह नहीं रखने चाहिए क्योंकि ज़्यादा धन के लालच में ही टैक्सी ड्राईवर पूनम को जंगल की ओर लेकर भागा था। यात्रा करते समय कुछ ज़रूरत भर रुपए ऊपर पर्स में रख कर बाकी धन गोपनीय रूप से अन्यत्र रखना चाहिए।
*'वात्सल्य प्रेम' कभी भी निष्प्रभावी नहीं हो सकता। निश्छल प्रेम को अबोध बच्चा भी महसूस कर लेता है। माधवी ने पूनम के पुत्र को जो मातृत्व प्रदान किया था वह निस्वार्थ व निश्छल था और इसी का यह परिणाम था कि पूनम के अबोध-नादान पुत्र ने खेल-खेल में जहर की शीशी उठा कर रहस्य से पर्दा उठवा दिया और माधवी निर्दोष सिद्ध हो सकी। अतः प्रकृति-परमात्मा का अनुपम उपहार बच्चों से सदैव प्रेम-व्यवहार रखना चाहिए।
*अधीरता या जल्दबाज़ी में कोई निष्कर्ष या निर्णय नहीं लेना चाहिए। बार-बार माधवी ने जल्दबाज़ी में फैसले किए और कदम उठाए जिस कारण कदम-कदम पर उसे परेशानियों का सामना करना पड़ा।
*कमल की भांति सदैव धैर्यवान व संयमित रहना चाहिए जो सफलता दिलाने वाले सूत्र हैं।
*'लालच सदा ही बुरी बला 'होता है जिसके शिकार -कैलाश,शबनम और रमइय्या को अंततः अपने गुनाहों की सजा भुगतानी ही पड़ी। अतः लालच के फेर में कभी भी नहीं पड़ना चाहिए।
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